अग्नि स्तम्भन प्रयोग :

अग्नि स्तम्भन प्रयोग :

अग्नि स्तम्भन प्रयोग : “ॐ ह्रीं महिषमर्दिनी लह लह लह कठ कठ स्तम्भनं कुरु अग्नि देबाय स्वाहा ।”
इस मंत्र को 108 बार खैर काष्ठ को अभिमंत्रित कर अग्नि में डालें तो अग्नि स्तम्भित हो जाती है ।

अग्नि स्तम्भन प्रयोग मंत्र :

मंत्र : “ॐ नम: अग्निरुपाय में देहि स्तम्भन कुरु कुरु स्वाहा ।”
मेढक की चर्बी और घी गुबार को 108 बार उपरोक्त मंत्र पढ़कर लेप करें तो शरीर अग्नि से सुरक्षित होता है ।

. ॐ नमो कोरा काराबायल सो भरिया, ले गौरी के शिर धरिया ईश्वर ढाले गौरा नहाय जलती अगिया शीतल हो जाय ।

नये करबों में सात बार जल भर सात बार मंत्र पढ़कर जल का छींटा दे तो जहाँ तक छीटा जाता है बहाँ तक आग नहीं लगती है।

. अग्नि में घोडो का खुर और बेंत की जड़ डालो तो अग्नि से कपड़ा नहीं जलती है ।

. मुल्हट्टी बी भांगर का रस हाथ में लगाकर आग हाथ में उठा ले तो हाथ नही जलता है ।

. नौसादर ब कपूर हाथ में लगा के आग उठायें तो हाथ नही जलता है ।

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नोट : यदि आप की कोई समस्या है,आप समाधान चाहते हैं तो आप आचार्य प्रदीप कुमार से शीघ्र ही फोन नं : 9438741641{Call / Whatsapp} पर सम्पर्क करें।

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