अघोर श्मशान सिद्धि साधना मंत्र :
मंत्र : ओम रुद्र भुतनाथाय षट्भूत बश्यं कुरु कुरु मम आज्ञा पालय रुद्राय हुं हुं फट् ।।
नोट :- साधकों इस साधना को बिना गुरु के और दीख्या लिये बिना न करें इस साधना को करने से पहले किसी सिद्ध महात्माओं (नागा साधु) से या शैब एबं शाक्त सम्प्रदाय से दीखित साधक की देख-रेख में करें या फिर कोई बराटी बिद्या का साधक एबं गुरु से मिलें तो उनसे मार्गदशन लें। क्योंकि ये कोई मामूली सिद्धि नहीं हैं, ये शमशान सिद्धि हैं।
इसको बडे बडे सिद्ध साधक ही कर पाते है। जिसको हम लोग कपाली-अघोरी एबं औघट ब नागा साधु कहते है। इसकी क्रिया बिधि-बिधान गुप्त होता है। हरेक ब्यक्ति को बताना बर्जित माना जाता है। इसके पीछे कई कारण है।
ये प्राचीन बिद्या का कुछ ही अंश बचा हुआ है। बाकी सारी बिद्या लुप्त हो गई हैं। कुछ कुछ लोगों के पास ही ये प्राचीन ज्ञान ब बिद्या देखने को मिलती है। जिसमे से अधिकतर नाथ भक्तों के पास एबं साधु संत ब शक्ति उपासकों के पास और आदिबासि साधकों के पास है। उन मे से यहा पर कुछ में दे रहा हुं, ये प्रयोग करने से पहले किसी सिद्ध साधक से एक बार अबश्य जानकारी ले हो सके तो किसी अघोर तंत्र के साधक को अपना गुरु मानकर उनसे प्रार्थना करें और बो अगर दया करके शिष्य बनाकर सही मार्गदर्शन करें तो साधक के लिये उत्तम होगा ।
क्युंकि किसी अनुभबी गुरु के बिना ये साधना के बारे में सोचना भी मुर्खता ही होगी। बिना गुरु के ये साधना आरम्भ करना स्वयं ही अपनी आत्महत्या करना दोनों बात बराबर ही कहीं जा सकती हैं। इसलिये कृपया अपना जीबन खतरे में न डालें। में केबल जानकारी हेतु ही प्रयोग दे रहा हुं, ऐसे भी ये साधना साधारण ब्यक्तियों के लिये हानिकारक मानी जाति है।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या
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