जानिए चंड योगिनी साधना कैसे करें ?
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अप्सरा प्रत्यक्षीकरण साधना :
अप्सरा प्रत्यक्षीकरण साधना :
अप्सरा को सिद्ध करना कोई आसान कार्य नहीं है मगर अप्सरा को सिद्ध करना भी बहुत आसान है अप्सरा का अर्थ होता है कि सोलह वर्ष की चिर यौवन वती और वो निरंतर आपके सामने प्रत्यक्ष हो और निरंतर जो भी आप उसे आज्ञा देंगे वो उस आज्ञा का भी पालन करेगी, सिर्फ पांच वर्षों तक उसके बाद में इस मंत्र को वापिस सिद्ध करना पड़ेगा अप्सरा को बुलाने के लिए 1 माला मंत्र जाप करने की जरूरत है ।तो देर किस बात की जाने अप्सरा प्रत्यक्षीकरण साधना के बारे में .. साधना करने से पहले आप किसी सिद्ध गुरु की देख रेख में करना चाहिए ।
अप्सरा साधना के नियम :
• कोई भी वस्त्र डाल कर अप्सरा साधना कर सकते हैं जरूरी नहीं है कि आप धोती और कुर्ता ही पहने
• अप्सरा साधना में आप किसी भी प्रकार के वस्त्र पहन सकते हैं वस्त्र शुध्द और दिव्य हों पहनें हुए वस्त्र दुबारा नहीं पहन सकते
• गुलाब के पुष्प सामने रखेंगे
• यह रात्रि कालीन साधना है
• कमरे में दूसरे का प्रवेश वर्जित है
• अप्सरा माला से मंत्र का जाप करना है और माला को गले में धारण किए रहेंगे
• आप जो भी चाहें भोजन कर सकते हैं मीट और मांस नहीं करेंगे
• रात्रि का मतलब है 9 बजे से 5 बजे तक
• शुक्रवार को प्रारंभ करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा
1. शशि अप्सरा- इनकी साधना दुर्जट पर्वत शिखर पर होती है । 1 माह पूर्ण जप करना होता है। ये दिव्य रसायन प्रदान करती हैं जिससे व्यक्ति बली, निरोग व पूर्ण आयु प्राप्त करता है।
मंत्र- ‘ॐ श्री शशि देव्या मा आगच्छागच्छ स्वाहा।’
2. तिलोत्तमा अप्सरा- पर्वत शिखर पर साधन होता है तथा राज्य प्रदान करती है।
मंत्र- ‘ॐ श्री तिलोत्तमे आगच्छागच्छ स्वाहा।’
3. कांचन माला अप्सरा- नदी के संगम पर साधना करना पड़ती है तथा सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं।
मंत्र- ‘ॐ श्री कांचन माले आगच्छागच्छ स्वाहा।’
4. कुंडला हारिणी अप्सरा- धन व रसायन प्रदान करती हैं। साधना पर्वत शिखर पर की जाती है।
मंत्र- ‘ॐ श्री ह्रीं कुंडला हारिणी आगच्छागच्छ स्वाहा।’
5. रत्नमाला अप्सरा- सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं तथा मंदिर में साधन किया जाता है।
मंत्र- ‘ॐ श्री ह्रीं रत्नमाले आगच्छागच्छ स्वाहा।’
6. रंभा अप्सरा- घर में एकांत कमरे में साधना की जाती है। धन, राज्य व रसायन प्रदान करती हैं।
मंत्र- ‘ॐ स: रंभे आगच्छागच्छ स्वाहा।’
7. उर्वशी अप्सरा- घर के एकांत कक्ष में साधना की जाती है। सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं।
मंत्र- ‘ॐ श्री उर्वशी आगच्छागच्छ स्वाहा।’
यह यंत्र भोजपत्र पर बनाये और ५१ माला जप के के बाद जल यन्त्र पर दाल दे ! ये २१ रात्रि करे ! घी का दीपक जलाये और स्फटिक माला से जाप करे ।ये यन्त्र अष्टगंध से बनाये और कनेर की कलम से लिखे ।
8. भूषणि अप्सरा- कहीं भी एकांत में साधन होता है तथा भोग व ऐश्वर्य प्रदान करती है।
मंत्र- ‘ॐ वा: श्री वा: श्री भूषणि आगच्छागच्छ स्वाहा।’
उपरोक्त केवल परिचय मात्र है । यंत्र चित्र, आसन, वस्त्र, पूजन सामग्री, माला इत्यादि के प्रयोग देवता के स्वभाव के अनुरूप होते हैं जिनका प्रयोग सफलता प्रशस्त करता है । सिर्फ जानकारी के लिए साधना प्रस्तुत की गई है इसलिए किसी योग्य गुरु के सानिद्य में ही साधना संपन्न करे !
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमारमो. 9438741641 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या

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