आसन हेतु मंत्र :

आसन हेतु मंत्र :

ॐ आसन ईश्वर ,आसन इंद्र, आसन बैठे गुरु गोविन्द।
अज्र आसन बज्र कपाट ,अज्र जुड़ा पिंड सोहं द्वार ।
जो घोले अज्र पर घाब ,उलट बीर बाही को खाब ।
आसन बैठे गुरु रामानन्द, दोऊ कर जोड़ आसन की रक्षा करें।
देब 33 कोटि देबता रक्षा करें । काया आसन बैठे लक्ष्मण
यति ।सोहं गोविन्द पढ़ी आसन पर । ॐ रं सोहं मन की
भर्मना दूरि खोये । रात्री राखे चन्द्रमा ,दिन को राखे भानु।
धरती माता सदा राखे, कालि कंटक दूरी भागे।
करेगा सो भरेगा , भक्त जनों की रक्षा बीरहनुमान करेगा ।।

आसन हेतु मंत्र बिधि : इस मंत्र का सर्बप्रथम साधक शुभ मुहूर्त में बिधि पूर्बक जप कर सिद्ध करें ।फिर कोई भी कार्य करते समय आसन पर बेठने से पहले अपने आसन पर इस मंत्र का जप करते हुए फूंक मारकर बेठने पर कोई भी बाधा कार्य को तथा साधक को तंग नहीं करती ।

Facebook Page

यदि आप को सिद्ध तांत्रिक सामग्री प्राप्त करने में कोई कठिनाई आ रही हो या आपकी कोई भी जटिल समस्या हो उसका समाधान चाहते हैं, तो प्रत्येक दिन 11 बजे से सायं 7 बजे तक फोन नं . 9438741641 (Call/ Whatsapp) पर सम्पर्क कर सकते हैं।

Leave a Comment