कंकाली साधना एक प्राचीन तंत्रिक प्रयोग है जो आर्थिक संकट से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। इस साधना के द्वारा व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकता है और वित्तीय समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकता है। कंकाली साधना के माध्यम से व्यक्ति अपने आत्मविश्वास को मजबूत कर सकता है और सकारात्मक दिशा में कदम बढ़ा सकता है।
इस साधना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक संकट को दूर करना है और व्यक्ति को आर्थिक स्थिति में सुधार प्राप्त करने में मदद करना है। इसके लिए विशेष तंत्रिक मंत्र और यन्त्र का प्रयोग किया जाता है, जो व्यक्ति के चिंताओं और आर्थिक संकट को दूर करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
शीघ्र सिद्धिप्रदा इस माता की साधना में न कोई झंझट है और न ज्यादा समय लगता है। आर्थिक संकट में फंसे लोगों के लिए इनकी साधना कामधेनु की तरह फलदायी है । इनका मंदिर कम है लेकिन जहां भी है, वहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है और उनकी मनोकामना भी शीघ्र पूरी होती है ।
आर्थिक संकट से मुक्ति के लिए :
1- मंत्र :“काली कंकाली केलि कलाभ्यां स्वाहा”
दस हजार रोज जप एवं एक हजार हवन (सूखी मछली से। न मिले तो त्रिमधु– मधु, चीनी व घी से) 21 दिन में अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है । इस अनुष्ठान से आर्थिक समस्या का शीघ्र निवारण होता है । इस विधि से अन्य मनोकामना की भी पूर्ति हो सकती है । मंत्र जप, हवन आदि के लिए कोई नियम व तरीका निर्धारित नहीं । अर्थात- इसके लिए शुद्धि-अशुद्धि, न्यासादि की भी जरूरत नहीं है । सिर्फ निर्धारित संख्या में जप व हवन से अभीष्ट की पूर्ति होती है । हालांकि इतना ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए कि देवी के प्रति अटूट भक्ति और विश्वास हो ।
सर्व मनोकामना पूर्ति के लिए उपयोगी मंत्र :
2- द्वादशाक्षर मंत्र———ऊं काली कंकाली किल किले स्वाहा
3-त्रयोदशाक्षर मंत्र———ऊं ह्रीं काली कंकाली किल किल स्वाहा
4-चतुर्दशाक्षर मंत्र———(अ) ऊं काली महाकाली केलिकलाभ्यां स्वाहा
(ब) ऊं ह्रीं काली कंकाली किल किल फट स्वाहा
5-पंचादशाक्षर मंत्र———(अ) क्लीं कालि कालि महाकालि कोले किन्या स्वाहा
(ब) ऊं कां काली महाकाली केलिकलाभ्यां स्वाहा
उड्डामहेश्वर तंत्र एवं काली कल्पतरु में कंकाली के मंत्रों के जप के लिए दस हजार की संख्या में ही पुरश्चरण कहा गया है । उसके अनुसार दिन में दस हजार मंत्र का जप कर शाम को दसवें हिस्से के मंत्र से हवन करें । हवन की यह संख्या कम भी हो सकती है । एक अन्य मत के अनुसार–संध्याकाले सहस्रैकं होमयेत् ततः कंकाली वरदा भवति, सुवर्ण चतुष्टयं प्रत्यहं ददाति ।
(यदि इस साधना का सही रूप से अभ्यास किया जाए, तो व्यक्ति को आर्थिक संकट से मुक्ति प्राप्त हो सकती है और उसके जीवन में स्थायिता और सुख की प्राप्ति हो सकती है।)
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार 9438741641 (call/ whatsapp)