कंटक शनि :
कंटक शनि : “
कंटक शनि” एक ज्योतिष शब्द है जिसका अर्थ होता है कि जब शनि ग्रह किसी कुंडली में अन्य ग्रह के साथ या अवश्यक स्थान पर प्रवृत्त होता है, तो उस समय व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । यह ग्रहों के बीच आकर्षण और संघर्ष की स्थिति का परिचय करता है ।
जब कंटक शनि की दशा आती है, तो व्यक्ति को अलग-अलग प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, पेशेवर समस्याएं, वित्तीय संकट, परिवार में अनबन, और सामाजिक समस्याएं । यह दशा कुछ साल तक चल सकती है और इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महसूस हो सकता है ।
कंटक शनि के समय, व्यक्ति को अपनी आत्म-समीक्षा करने और अपने लक्ष्यों को पुनरारंभ करने का समय मिलता है । यह दशा व्यक्ति को समस्याओं का सही तरीके से सामना करने की क्षमता प्रदान कर सकती है और उसे अपने जीवन के मार्ग में सुधार करने का अवसर दे सकती है ।
इस प्रकार, कंटक शनि एक चुनौतीपूर्ण योग होता है जो व्यक्ति को उनकी मजबूतियों और कमजोरियों का सामना करने का मौका देता है और उन्हें उनके व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकता है ।
शम च मे मायाश्च मे प्रियंच मे नुकमश्च मे
कामाश्च मे सौम नसश्च मे भद्रम च मे श्रेयश्च मे
वश्यश्च मे यश्यश्च मे भगश्च मे द्रयिनम च मे
यन्ता च मे धर्ता च मे क्षमाश्च मे धृतिश्च मे
विश्वंचमे महाश्चमे समविचिश्च मे ग्यात्रंच मे
सुसश्च मे प्रसुसश्च मे सीरम च मे लायाश्च मे
ऋतं च मे अमृतम च मे यक्षमम च मे नमयछ मे
जीवतुश्च मे दीर्घयुत्वं च मे नमित्र च मे अभयम च मे
सुगम मे शयनम च मे सुषा च मे सुदिनम च मे।।
( महिलाओं को मासिक धर्म के पहले तीन दिनों में इस मंत्र का जप नहीं करना चाहिए ।)
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार 9438741641 (call/ whatsapp)