कन्कालिनी साधन :
कन्कालिनी साधन मंत्र :“क्रीं क्रीं कालिके कंकालि स्वाहा ।”
कन्कालिनी साधन बिधि –
दिन के समय नदी तट पर जाकर स्नान कर, दिव्य पुष्प, माँस, मद्य, रक्त आदि उपहारों तथा नृत्य गीतादि सहित कुलदेबी का पूजन करें । फिर कुलनरस का पान करके, उक्त मंत्र को 2000 की संख्या में जपे ।
जप की समाप्ति पर कंकालिनी देबी साधक को दर्शन तथा अभीप्सित बर देकर चली जाती है । देबी की कृपा से साधक के शत्रु नष्ट हो जाते हैं । तथा उसे कंकाल (मुर्दे की हड्डियों का ढांचा ) का शव्द समझने की शक्ति प्राप्त होती है ।
कंकालिनी सिद्धि की पूर्णता के लिए निम्नलिखित मंत्र द्वरा काली का पूजन करके इस मंत्र का 1000 की संख्या में जप भी करना चाहिए ।
मंत्र यह है – “ॐ ह्रीं श्रीं कंकालिनी स्वाहा ।”
चेताबनी : भारतीय संस्कृति में मंत्र तंत्र यन्त्र साधना का बिशेष महत्व है ।परन्तु यदि किसी साधक यंहा दी गयी साधना के प्रयोग में बिधिबत, बस्तुगत अशुद्धता अथबा त्रुटी के कारण किसी भी प्रकार की कलेश्जनक हानि होती है, अथबा कोई अनिष्ट होता है, तो इसका उत्तरदायित्व स्वयं उसी का होगा ।उसके लिए उत्तरदायी हम नहीं होंगे ।अत: कोई भी प्रयोग योग्य ब्यक्ति या जानकरी बिद्वान से ही करे। यंहा सिर्फ जानकारी के लिए दिया गया है । हर समस्या का समाधान केलिए आप हमें इस नो. पर सम्पर्क कर सकते हैं : 9438741641 (call/ whatsapp)