कुंडलिनी शक्ति जागरण मंत्र :
कुंडलिनी शक्ति : कुण्डलिनी शक्ति मनुष्य की सबसे रहस्यमयी और बेहद शक्तिशाली उर्जा है.जिसके जाग जाने से व्यक्ति पुरुष से परम पुरुष हो जाता है. कुण्डलिनी शक्ति को जगाना कोई आसन काम नहीं. बड़े-बड़े योगियों की भी उम्र बीत जाती है. तब जा कर कहीं कुण्डलिनी को जगा पाते हैं. किन्तु आप के लिए एक सरल उपाय भी है. जो इसको जगा कर आपको महापुरुष बना सकती है. अपने गुरु से शक्तिपात ले कर या आशीर्वाद ले कर मंत्र सहित कुण्डलिनी ध्यान करना शुरू करें. कुछ दिनों के प्रयास से ही कुण्डलिनी शक्ति की उर्जा अनुभव होने लगेगी. किन्तु इस कुंडलिनी शक्ति का एक नियम भी है वो ये है की आपको नशों से दूर रहना होगा. मांस मदिरा या किसी तरह का नशा गुटका, खैनी, पान, तम्बाकू, सिगरेट-बीडी, मदिरा सेवन से बचते हुए ही ये प्रयोग करें, तो सफलता जरूर मिलेगी. इस प्रयोग को सुबह और शाम दोनों समय किया जा सकता है. ढीले वस्त्र पहन कर गले में कोई भी माला धारण कर लें और हाथों में मौली बाँध लें जो आपको मनो उर्जा देगी. फिर सुखासन में बैठ जाएँ, पर जमीन पर एक आसन जरूर बिछा लें. यदि संभव हो तो आसन जमीन से ऊंचा रखें. अब आँखें बंद कर तिलत लगाने वाले स्थान पर यानि दोनों भौवों के बीच ध्यान लगाते हुए मंत्र गुनगुनाये.
कुंडलिनी शक्ति जागरण मंत्र :
शक्ति मंत्र “ॐ ह्रीं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नम: || ” {{प्रतिदिन इस कुंडलिनी शक्ति मंत्र का १०८, १००८ की संख्या में जाप करें.}}
अब लगातार लम्बी और गहरी सांसे लेते हुए कुंडलिनी शक्ति मंत्र का उच्चारण करते रहें तो आप देखेंगे की तरह-तरह के अनुभव आपको इस कुण्डलिनी मंत्र से होने लगेंगे. धीरे-धीरे स्पन्दन बढ़ने लगेगा. इस अवस्था में फिर गुरु का मार्गदर्शन मिल जाए तो ये उर्जा किसी भी कार्य में लगायी जा सकती है. भौतिक जगत में लगा कर आप अनेक प्रकार के भोग-भोग सकते हैं या चाहें तो योगिओं की भांति अनन्त का ज्ञान प्राप्त कर दुखों से मुक्त हो परम आनदमय मृत्यु रहित जीवन जी सकते है. कुण्डलिनी उर्जा का प्रयोग सदा अच्छे कार्यों में ही करना चाहिए अन्यथा उद्दंडता करने पर ये प्रकृति आपका विनाश भी कर सकती है.
Connect with us on our Facebook Page : कामाख्या तंत्र ज्योतिष
To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us :
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार : मो. 9438741641 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या