क्या आपके कुंडली में धन योग है ?

कुंडली में धन योग : ‘पैसा सबकुछ नहीं खरीद सकता’ सच है मगर यह भी सच है की पैसो से ज़्यादातर चीज़े खरीदी जा सकती हैं. मोटे तौर प् ये माना जा सकता है की पैसा हमारे 70% ज़रूरतो को पूरा कर सकती हैऔर इसीलिए पैसे को लोग तरल सोना भी कहते हैं.
इसको को अगर हम ज्योतिष के सन्दर्भ में देखें तो ये पाएंगे के वैदिक ज्योतिष में धन प्राप्ति योग को लेकर बहुत साफ़ नियम बताये गए हैं के कोई ब्यक्ति कितना धन कमाएगा और किस प्रकार से वह वो धन कमायेगा वो सब कुंडली में धन योग बताता है .
दुनिया में लगभग हर दूसरा ब्यक्ति धन अर्जित करता है. कोई ज़्यादा तो कोई थोड़ा काम. मगर इस कुंडली में धन योग लेख में हम ऐसे योगो को लेकर आलोचना करेंगे जिनके अंदर आपको अच्छी खासी धन प्राप्त करने की या आपको लखपति और करोड़पति बनाने की क्षमता है.
अगर आप ये जानना चाहते हैं की आप कितना धन कमाएंगे तो उसके लिए आपको सबसे पहले अपने कुंडली में धन के कारक की अवस्था देखनी पड़ेगी. कारक एक ऐसा ग्रह होता है जो जीवन के एक ख़ास पहलु को दर्शाता है और वैदिक ज्योतिष मे अलग अलग विषयों के लिए अलग अलग कारक का उल्लेख है जैसे की प्रेम का कारक शुक्र, पिता का कारक सूर्य, माता का कारक चंद्र इत्त्यादि.
ये सब यूनिवर्सल कारक हैं. मतलब ये सब कारक ब्यक्ति विशेष के लिए अलग अलग नहीं होते हैं. सबके लिए ये एक ही हैं. बाकि ग्रह और योगो की स्थिति जो भी हो हर विषय में कारक की भूमिका होती ही है. हर एक वर्ग चार्ट का अपना अलग कारक है, जैसे की नवांश का कारक शुक्र है, जबकि सपतांश का बृहस्पति.
क्योँकि यहाँ कुंडली में धन योग पे हम ज्योतिष में पैसो की बात कर रहे हैं, हम उसके कारक के ऊपर ही जोर देंगे जो की है बृहस्पति। और जो ग्रह धन कमाने मे सहायक होती है वो हैं शुक्र, चंद्र और राहु. हमें प्राथमिक तौर पे इन् ग्रहों की स्थिति को देखना होता है.
अक्सर लोग ये सोचते हैं की अगर उनके कुंडली मे उच्च के ग्रह हों तो वो बहुत सारे पैसे रोज़गार करेंगे. ऐसा नहीं भी हो सकता है. असल मे है इसका बिलकुल उल्टा. अगर आपके कुंडली में कुछ ख़ास जगहो पर नीच के ग्रह हों तो आप बहुत धन अर्जित कर सकते हैं. ये इस वजह से है की जब कोई ग्रह नीच का हो जाता है तब वो बुरा परिणाम देता है. सही?
पर क्या बुरा है और क्या नहीं वो असल मे हमारी दृष्टिकोण के ऊपर निर्भर करता है. प्राचीन काल में लोग इतने भोगवादी नहीं होते थे जितने की हम अब हैं और वो धन को एक बुरी चीज़ के तौर पे देखते हैं. इसीलिए वैदिक एस्ट्रोलॉजी मे ऐसा लिखा गया है की जब भी आपकी कुंडली में नीच के ग्रह होंगे तो वो आपको उन ग्रहों से जुडी हुयी जीवन के उन क्षेत्रो मे परेशानी तो ज़रूर देगी मगर ‘बदले मे’ आपको इतना धन ज़रूर दे देगी के आपको पैसो को लेकर तो कम से कम कोई परेशानी नहीं होगी.
हालाकि आर्थिक ज्योतिष के सन्दर्भ में बृहस्पति और बुध का नीच न होना ही अच्छा है.
अब अगर हम योग पे आएं, वैदिक एस्ट्रोलॉजी मे कुछ ऐसे योग होते हैं जिनको कुंडली में धन योग कहा जाता है. अगर आपके कुंडली में धन योग हो तो आपको अपनी सारी मनोकामना पूर्ति के लिए धन प्राप्त होता है.
 
अगर आपके कुंडली में एक धन योग है तो इसका ये मतलब बिलकुल नहीं है की की आप अरबपति बन जायेंगे. हां, अगर आपने पिछले जनम मे बहुत ही ज़्यादा अच्छे कर्म किये थे और आपके कुंडली में बहुत शक्तिशाली धन योग हैं, तो ज़रूर बन सकते हैं.
क्योँकि वैदिक ज्योतिष में बाकि योगों की तरह कुंडली में धन योग की शक्ति का भी स्टार होता है जो की कई सारे विषयों पर निर्भर करता है जैसे की डिग्री, नक्षत्र, ज्यूति होने वाली भाव, उस ज्यूति मे अन्यो ग्रहों की दृष्टि इत्यादि.
हम कुंडली में धन योग के बारे में बाद में चर्चा करेंगे, पहले हम ये समझने की कोशिश करेंगे की कारक ग्रहों के कौन से ऐसे योग हैं जो आपकी जीवन में धन वर्षा करा सकती हैं.
अगर आपके कुंडली में शुक्र और चंद्र की युति हो तो ये धन को आकर्षित करने वाली एक बहुत अच्छा योग है. विशेष रूप से अगर ये योग 2 रे या 11 बे भाब में बन रही हो. जातक बैभवपूर्ण जीवन जीता है.
धन प्राप्ति के लिए एक और अच्छा योग है चंद्र मंगल का योग. अगर चंद्र और मंगल की युति हो , या दोनों एक दूसरे को देख रहें हो तो ये धन के लिए बहुत अच्छा योग होता है. बिल गेट्स के होरोस्कोप चंद्र और मंगल डिग्री के हिसाब से बिलकुल आमने सामने हैं.
अगर बृहस्पति और शुक्र की युति 2 रे, 5 बे, 9 बे या 11 बे भाव में हो तो ये धन प्राप्ति के लिए एक अनुकूल योग मन जाता है.
शुक्र और बुध की युति भी अच्छी खासी धन प्राप्त करता है, जो की अक्सर बिज़नस से आता है.
बात जब ज्योतिष में धन की या किसी प्रकार की मटेरियल यानि भौतिक चीजो की आती है तो राहु एक बहुत बड़ी भूमिका पालन करता है. 11 बे भब में बैठा राहु बहुत सारी धन देने की क्षमता रखता है. और सिर्फ राहु ही नहीं, 11 बे भाव में बैठा हुआ कोई भी मलेफिक यानि पापी ग्रह लगभग कभी ना ख़तम होने वाली धनलाभ करवाता है.
बृहस्पति, शुक्र, बुध नेचुरल बेनेफ़िक ग्रह हैं. अगर इन तीनो की युति इसमें से (1 ला, 2 रा, 5 बा, 9 बा, 11 बा ) किसी भी भाब में हो या किसी केंद्र भाव(1 ला, 4 था, 7 बा, 10 बा) में हो तो ये आपको धनवान अवश्य बनाएंगे.

कुंडली में धन योग : ये धन प्राप्ति के लिए कुछ आम योग हैं

अब हम हाउस लार्ड यानि भावपति कौनसे और कैसे धन योग बनाते हैं उसकी बात करेंगे. कुंडली में धन योग 1 ले, २रे, 5 बे, 9 बे और 11 बे भाव में बनता है और धन योग के लिए इन्ही भावों को देखा जाना चाहिए.
1 लग्न भाव हमेशा महत्वपूर्ण होता है. ये आप खुद हैं. यही भाव कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण भाव होता है.
2 दित्तीय भाव संपत्ति का भाव है। ये आपकी अर्जित और जमा की गयी धन को दर्शाता है. ये उस धन को भी दर्शाता है जो आपको पारिवारिक रूप से मिलता है. दूसरे शब्दो में ये आपकी बैंक बैलेंस को दर्शाता है.
5 बा भाब धन के मामलो में महत्वपूर्ण है क्योँकि ये त्रिकोण भावों में से एक भाव है. ये स्पेक्यूलेटिव बिज़नस, स्टॉक मार्किट में किस्मत का भी भाव है.
9 बा भाव किस्मत का भाव ही होता है. आपकी किस्मत आम तौर पर कैसी होगी ये 9 बे भाव से देखा जाता है. ये भाव धन के मामलो में कितना महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कक इसको लक्ष्मी भाव भी कहा जाता है.
11 बा भाव धन के मामलो में सबसे अहम् होता है. 11 बा भाव प्राप्तियों का घर होता है, इच्छाओं की पूर्ति का भाव होता है.

कुंडली में धन योग किसप्रकार बनते हैं?

जब भी कोई बताये गए भावो का स्वामी उनमे से किसी भाव में स्थित होता है तो कुंडली में धन योग बनता है. मान लीजिये के आपके पहले घर का स्वामी 2 रे, या 5 बे, या 9 बे, या 11 बे भाव में बैठा है, ये एक धन योग बना रहा है. और फिर मान लीजिये के आपके 5 बे भब का स्वामी 1 ले, 2 रे, 5 बे या 9 बे भाव में स्थित है, तो ये भी एक धन योग बना रहा है.
यही बात उन दूसरे भावों पर भी लागू होती है. क्या इसका मतलब ये है की आपके कुंडली में धन योग एक से ज़्यादा हो सकते हैं ? हां! आपके कुंडली में बिलकुल एक से ज़्यादा धन योग हो सकते हैं.
एक और अच्छी बात ये है के कुंडली में धन योग सिर्फ तभी नहीं होता है जब बताये गए भावों के स्वामी उनमे से किसी एक भाव में स्थित हो.
अगर उनमे से कोई दो भवस्वामी परिवर्तन योग बनाते हैं, तब भी कुंडली में धन योग होता है. जैसे 5 बे भाव का स्वामी 9 बे भाव में और 9 बे भाव का स्वामी 5 बे भाव में.
अगर उन चुनिंदा भावों के स्वामी आपस में युति बना रहे हों, तो भी धन योग बनता है.
इन धन योगों के इलाबा भी एक और प्रकार का धन योग होता है. ये तब बनता है जब बताये गए भावों का कोई स्वामी उन भावों के किसी स्वामी पर एक तरफ़ा दृष्टि दे. जैसे 2 रे भाव का स्वामी 11 बे भाव के स्वामी से दृष्टि प्राप्त कर रहा हो मगर उसपर दृष्टि नहीं दे रहा हो.
पर ये एक निम्नस्तर का कुंडली में धन योग है जो की दूसरे किस्म के धन योग के जितना प्रभावशाली नहीं है.

कुंडली में सर्वोत्तम किसम का धन योग तब बनता है जब …

• दूसरे और 11 बे भब के स्वामी परिवर्तन योग बना रहे हों, 2 रे या 11 बे भाव में आपस में युति बना रहे हों और किसी पापग्रह के दुष्प्रभाव से बंचित हों.
• 1 ले, 2 रे, 5 बे, 9 बे और 11 बे भाव के स्वामी आपस में परिवर्तन योग बना रहे हों या इनमे से ही किसी भाव में युति बना रहे हों.
इन भावों के इलावा भी एक और भाव है जो आपको बड़ी मात्रा में धन प्राप्त करवा सकता है और करोड़पति बना सकता है. वो भाव है 8 बा भाव….
जी हां! 8 वा भाव।
ये भाव पाप भाव है. 6 ठा और 12 बे भाव की तरह. हालाकी 8 बा भाव नाना प्रकार की बुरी चीजों का भाव माना जाता है, यह आर्थिक ज्योतिष में एक बहुत ही अहम् भूमिका निभाती है. ये भाव अचानक धन प्राप्ति, पारिवारिक संपत्ति, ससुराल से मिलने वाली धन का भाव है.
इसलिए 8 बे भाव को अनर्जित कुंडली में धन योग का भाव भी कहा जाता है.
उदाहरण के तौर पे अगर आपके 2 रे और 5 बे भाव का स्वामी 8 बे भाव में युति बना रहे हो तो आप लाटरी के माध्यम से धन प्राप्त कर सकते हैं.
 
ये कुछ कुंडली में धन योग थे जो अगर आपके कुंडली में हैं तो आप धन संपत्ति के मामले में बहुत आगे जा सकते हैं. लेकिन किसी भी निष्कर्ष से पहुचबने से पहले आपको नवांश में भी इन धन योगो की किसी भी तरह से उपस्थिति को जांच लेना चाहिए.
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Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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