नवांश कुंडली और अवैध सम्बन्ध :
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डाकिनी प्रत्यक्षीकरण साबर मंत्र :
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गुप्त श्मशान भैरवी साधना :
गुप्त श्मशान भैरवी साधना :
इसको सिद्ध करने का विधान 1 दिन का होता है अगर योग्य गुरु आपको इसकी शक्ति सिद्ध कराते है अन्यथा मन्त्र जप से भी इसको सिद्ध किया जा सकता है।
माँ भगवती श्मशानी देवी के बाद यह भैरवी दूसरे नंबर पर आती है। यह साधक के सभी कार्य सम्पन्न करती है।
 
योग्य गुरु साधक को शमशान में सूर्यास्त के बाद ले जाते है,पहले महाकाली भद्रकाली की पूजा की जाती है जिसमे भोग स्वरूप नारियल,बतासे,अगरबत्ती आदि का पूजन करते है उनके बाद उनकी बहन श्मशानी महाकाली का पूजन किया जाता है इसमें भोग के रूप में अंडा मदिरा को दिया जाता हैं।
दोनों देवियो को प्रसन्न करने के बाद आज्ञा लेकर साधक को ,गुरु अपने सामने बैठाते है और उसकी आंखें बंद रखने को बोलते है फिर कुछ विशेष मन्त्र पढ़कर साधक के शरीर पर चावल मारते है तब साधक को बंद आँखों मे भैरवी के दर्शन होते है,,इसके बाद गुरु के अनुसार साधक बन्द आँखो में भैरवी से वार्ता करता है और मांस मदिरा की बलि के बदले अपने सभी अच्छे बुरे कार्य करवाने का वचन लेता है तब भैरवी साधक को वचन देकर अपना बलिदान लेकर वापस चली जाती है जब साधक बलिदान में मदिरा की धार लगाता है तो भैरवी अपनी जिह्वया से उसे ग्रहण करती है और कार्य करने का वचन देती है।।
इस तरह से साधक को श्मशान भैरवी सिद्ध हो जाती है और जब भी साधक को यह कार्य करने होते है तो श्मशान में रात्रि को जाकर भैरवी को आवाहन करता है तो भैरवी तुरुन्त आती है और साधक अपने कार्य करवाता है।
इस श्मशान भैरवी का रूप भयंकर होता है ,सिर के खुले बाल,आँखो से लगातार रक्त बहता रहता है,लहंगा पहने रहती है,काल की निशानी होती है,,इस शक्ति का प्रयोग साधक सभी कर्मो में करते है ।
 
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जय माँ कामाख्या

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