चंद्र ग्रह :
चंद्र ग्रह को ग्रहों का रानी माना जाता है । प्रतिदिन चंद्रमा की पूजा करने से मन पबित्र होता है । मानसिक शांति मिलती है और आत्मबिश्वास बढ़ता है । चंद्र एक राशि में 2 दिन 6 घंटे यानी सबा दो दिन रहता है । चंद्र स्त्री ग्रह है जो बृष राशि में उंच्च का और बृश्चिक राशि में नीच का होता है । चंद्रमा के लिए शत्रु ग्रह कोई नहीं । सूर्य और बुध मित्र ग्रह है तथा मंगल, गुरु, शुक्र और शनि इसके लिए सम हैं । चंद्र माता, लेखन और कल्पना का कारक होता है । चंद्रमा का रंग सफ़ेद और स्वामी जल है । चंद्र का वर्ण बैश्य है । चंद्र सज्जनता, नम्रता, भाबुकता और सुंदरता देता है । चंद्र में सत्वगुण पाया जाता है ।
चंद्र अच्छा हो तो क्या –
कुण्डली में चंद्रमा अच्छा हो तो माता का सुख, परिबार, कुटुम्ब में एकता बनी रहती है । इसके अलाबा चंद्र अच्छा हो तो उत्तरोत्तर उन्नति होती रहती है ।
चंद्र खराब हो तो क्या –
कुंडली में चंद्र खराब हो तो चिडचिडापन, मंदबुद्धि, पागलपन, मिर्गी के दौरे पड़ते है । खराब चन्द्र फिजूलखर्ची भी कराता है ।
खराब चंद्र को कैसे ठीक करें –
कुंडली में खराब चंद्र ग्रह को ठीक करने के लिए रात के समय चंद्रमा की और देखते हुए “नम: शिबाय” का जप करें । हर पूर्णिमा की रात चंद्र देब को खीर का भोग लगाए । चंद्र को ठीक करने के लिए सोमबार की शाम 4 बजे से 5 बजे के बीच चाबल, सफ़ेद कपड़ा, दही, घी और कपूर का दान करना चाहिए ।
चंद्र का जाप –
चंद्र ग्रह के लिए 11000 जाप होता है । पर कलियुग में 4 गुना कराना चाहिए यानी 44000 जाप कराए तभी समुचित फल मिलता है ।
चंद्र का मंत्र –(शास्त्रोक्त मंत्र)
“ॐ सों सोमाय नम:”
“ॐ चं चंद्राय नम:”
तंत्रोक्त या बीज मंत्र –
“ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:”
चंद्र की महादशा – चंद्र की महादशा 10 साल चलती है ।
बिशेष – चंद्रमा 20 अंशो से 30 अंशो में फल देता है ।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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