नब नाथ शाबर मंत्र :
नब नाथ शाबर मंत्र : “सत नमो आदेश । गुरूजी को आदेश ।। ॐ गुरूजी ।।। ॐकार आदिनाथ जी ॐकार स्वरूप बोलिये । उदयनाथ पार्वती धरत्री स्वरूप बोलिये । सत्यनाथ ब्रह्मा जी जल स्वरूप बोलिये । संतोषनाथ विष्णुजी खड़ग खाण्ड तेज स्वरूप बोलिये । अचल अचम्भेनाथ (आकाश) शेष स्वरूप बोलिये । गजबेलि गज कंथड़नाथ गणेश जी गजहस्ती स्वरूप बोलिये । ज्ञान पारखी सिद्ध चौरंगीनाथ अठारह भार वनस्पति स्वरूप बोलिये । माया स्वरूपी दादा मत्स्येंद्र माया स्वरूप बोलिये । घट पिण्डे नव निरन्तर सम्पूर्ण रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ बाल स्वरूप (ज्योति स्वरूप) बोलिये । इतना नवनाथ नाम स्वरूप जाप मंत्र सम्पूर्ण भया । श्री नाथ जी गुरूजी को आदेश । आदेश ।। आदेश”
नब नाथ शाबर मंत्र 1
आदिनाथ गुरु, सकल सिद्धों का ।
नाथ सिद्ध, गुरु शिष्य, परम-तत्व का ।।1।।
आदिनाथ सोचे, नाथ परम्परा ।
प्रगट करू, समुचि सर्व, जगउद्धरा ।।2।।
सत्य युगों के, प्रथम चरण में ।
भये प्रगट, त्रिगुण त्रिकाल, नाथ शक्ति में ।।3।।
किया प्रगट तित, महा अग्नि स्तम्भ ।
ब्रह्मा विष्णु, देख भये, बड़े अचम्भ ।।4।।
नब नाथ शाबर मंत्र 2
आदिनाथ बड़े , दीन दयालु ।
ब्रह्मा विष्णु, देव पर, भये कृपालु ।।1।।
भगवान विष्णुजी, तेज स्वरूपी ।
नाथ संतोष, नाम दिया, सत्य स्वरूपी ।।2।।
सत्य नाथ ब्रह्मा, जल स्वरूपी ।
चारों वेद, शास्त्र पुराण, ज्ञान स्वरूपी ।।3।।
कहे आदिनाथ, होगें तुम सिद्ध ।
पूजे जावोगे, जुग जुग में, नाथ प्रसिद्ध ।।4।।
नब नाथ शाबर मंत्र 3
हिम नगरी में, कैलाश धाम ।
आदि शक्ति, प्रातः प्रसंगें, उत्तम स्नान ।।1।।
उटि सिन्दूरी, सुपुत्र बनवायो ।
दीना अंकुश, द्वारपाल में, रक्षक बनवायो ।।2।।
बनखंडी से, उमानाथ आये ।
कहे द्वारपाल, आदिनाथ को, अंदर ना जाये ।।3।।
तब युद्ध प्रसंगे, क्रुद्ध महेश ।
मारा अंकुश, काट दियो वह, पुत्र के शीश ।।4।।
नब नाथ शाबर मंत्र 4
कहे पार्वती, पुत्र क्युं मारीयां ।
तब शिव शंकर ने, पार्वती को, उपाय बतलाया ।।1।।
गज हस्ती के, शीश ले आवो ।
मन्त्र संजीवन, फूंक मारे, पुत्र बनवायो ।।2।।
नाम दिया उनको, गज कंथड़ नाथ ।
किया पुत्र को, दीक्षा देकर, गजबेली नाथ ।।3।।
दिया वरदान, तुम होगे, सिद्ध ।
कलियुग में, ऋद्धि सिद्धि, नव निधि के साथ ।।4।।
नब नाथ शाबर मंत्र 5
एक बारगी, समुन्द्र मंथन ।
शिव ने किया, हलाहल, जहर प्राशन ।।1।।
तब काया अग्नि में, दाह हला हल ।
चंद्र-शेष को, धारे मस्तक, हो गए शीतल ।।2।।
प्रसन्न होकर, दिया वरदान ।
होंगे तुम दोनों, युग युग में, नाथ सुजान ।।3।।
भये शेष जी, अचम्भे नाथ ।
बने चंद्रजी, वनस्पति स्वरूपी, चौरंगी नाथ ।।4।।
नब नाथ शाबर मंत्र 6
एक बार शक्ति, कहे उमानाथ ।
हे नाथ जी, देना हमको, गृहयतम ज्ञान ।।1।।
आदि नाथ जी, दिव्य ॐकार ।
ले गये शक्ति, निर्जन स्थान, समुन्दर पार ।।2।।
अब यहां पार्वती, भयी सनाथ ।
मिले उत्तम, महाज्ञान, भयी उदयनाथ ।।3।।
जब उदयनाथ जी, निन्द्रा अधीन ।
समुन्दर से, आये हुंकार, ज्ञान सुजान ।।4।।
नब नाथ शाबर मंत्र 7
आदिनाथ खोजे, कौन हुंकार ।
तब मत्स्य गर्भ में, सुन रहे थे, बाल मछिन्दर ।।1।।
माया मछिन्दर, योग माया सिद्ध ।
नाथ पंथ के, तीन लोक में, भये प्रसिद्ध ।।2।।
करके तपस्या, कहे मछिन्दर ।
ले लो भगवंत, शिष्य रूप में, दिव्य अवतार ।।3।।
आदिनाथ ने, दिया विचार, ।
महा ज्ञान, योग कारण, लूंगा अवतार ।।4।।
नब नाथ शाबर मंत्र 8
हिमालया में, अलख निरंजन ।
वायु लोक में, बैठे आसन, ज्ञान भन्जन ।।1।।
वायु लोक के, अलख क्षेत्र ।
खुले ज्ञान के, आदिनाथ के, तृतीय नेत्र ।।2।।
तब आप स्वरूप, स्वयंम-स्वरूपी ।
अंत:करण, प्रेम ह्रदय से, प्रगटायी ज्योति ।।3।।
ज्योत में अब जन्मे, सुन्दर बालक ।
नाथ गोरख, नाम धारे, स्वयंम आदिनाथ ।।4।।
नब नाथ शाबर मंत्र 9
जती गोरख नाथ, ज्योति स्वरूपी ।
कर्ण कुण्डल, नाद जनेऊ, महाज्ञान रूपी ।।1।।
नाथ पंथ में, गोरक्ष अवतार ।
ज्ञान ध्यान में, भये प्रसिद्ध, योग चमत्कार ।।2।।
कहे नाथ गुरु, जती गोरक्ष बाला ।
साधु-संत में, कोई नहीं है, इनसे ही बिरला ।।3।।
नवनाथों में नाथ, नाथ श्री गोरक्ष ।
देवी देवता, सुरनर, वीर, तीन लोक साक्ष ।।4।।
नब नाथ शाबर मंत्र 10
ऐसे नाथ नवनाथ, भयो प्रमाण ।
योग ध्यान, ज्ञान रंजन, नाथ निरंजन ।।1।।
युगों युगों में, योग प्रचार ।
नाथ सिद्धो ने, बहुत दिया, ज्ञान प्रसाद ।।2।।
नवनाथ में प्रगटे, चौरासी सिद्ध ।
ज्ञान ध्यान और, योग याग में, जग प्रसिद्ध ।।3।।
नाथ कहे गुरु, शिष्य प्रणाली ।
नाथ सिद्ध ने, नाथ पंथ में, सिद्ध कर जाली ।।4।।
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