हस्त रेखा सिद्धि हेतु पंचांगुली देबी मंत्र :
पंचांगुली देबी मंत्र : “ॐ नमो पंचांगुली, पंचांगुली। पराशरी पराशरी, माता मंगल बशीकरणी।
मोह मय दण्ड मणिनी, चौसठ काम बिहण्डनी।
रणमध्ये, राउल मध्ये, शत्रु मध्ये, दीबान मध्ये, भूत मध्ये,
प्रेत मध्ये, पिशाच मध्ये, झोटिंग मध्ये, डाकिनी मध्ये,
शाकिनी मध्ये, यक्षिणी मध्ये, दोषणी मध्ये, शेकणी मध्ये,
गुणी मध्ये, गारुडी मध्ये, बिनारी मध्ये, दोष मध्ये, दोषाशरण मध्ये,
दुष्ट मध्ये। घोर कष्ट मुझ ऊपर बुरो जो कोई कराबे,
जड जडाबे ततचिन्ते चिन्ताबे। तस माथे श्री माता
पंचांगुली देबी तणो बज्र निर्धार पडे। ॐ ठ: ठ: ठ: स्वाहा ।।”
बिधि : इस मंत्र की सिद्धि से हस्त रेखाओं द्वारा जन्म कुण्डली बनाने में सहायता प्राप्त होती है। मंत्र जप से पहले साधक ध्यान मंत्र जप लें ।
ध्यान मंत्र :
ॐ पंचांगुली महादेबी, श्री सीमन्धर शासने।
अधिष्ठात्री करस्यासौ, शक्ति: श्रीत्रिदशोशितु: ।।
पंचांगुली देबी का षोडशोपचार पूजन कर उक्त पंचांगुली देबी मंत्र का जप करें । इस पंचांगुली देबी मंत्र साधना को कार्तिक मास में हस्त नक्षत्र में प्रारम्भ कर मार्ग शीर्ष मास के हस्त नक्षत्र में पूर्ण करें । साधना काल में ब्रह्माचर्य ब्रत का पालन कर एक सौ आठ बार मंत्र जप एबं पंचमेबा की दस आहुतियां प्रतिदिन करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है । तदनन्तर प्रतिदिन सात बार हाथ को उक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर उसे समस्त अंगों पर फेर लिया करें। इससे देबी कृपा द्वारा साधक को हस्त रेखा द्वारा तथा जन्म कुण्डली बनाने में पर्याप्त सफलता सहायता प्राप्त होती है ।
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