पति पत्नी प्रेम बर्द्धक प्रयोग :
पति पत्नी :पूर्णिमा की रात्रि में बाज की छाती के दो पंख नोंच कर, किसी नदी के तट पर जाय । फिर दोनों पंखों को अपने दायें हाथ में लेकर नदी के जल में डुबकी लगाकर स्नान करें । तत्पश्चात नदी के तट पर पूर्ब दिशा की और मुँह करके सिद्धासन लगाकर बैठ जाय तथा दोनों पंखों को अपने सामने रख कर, उन्हें निम्नलिखित मंत्र का १००८ बार उचारण करते हुए अभिमंत्रित करें ।
पति पत्नी प्रेम बर्द्धक मंत्र –“ॐ नम: गौरीशंकराय । ॐ नम: उमामहेश्वराय, ॐ अं कं चं टं तं पं यं क्षं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा ।”
फिर, अभिमंत्रित पंखों को लेकर घर लौट आयें और उन्हें अलग –अलग दो स्वर्ण अथबा ताबें के ताबीजों में भर कर, ताबीजों का मुँह बन्द कर दें । फिर, उनमें लाल रेशमी डोरा पिरोकर एक ताबीज को पुरूष अपनी दाई भुजा में बाँध ले तथा दूसरे ताबीज को उसकी स्त्री अपनी बाई भुजा अथबा कंठ में धारण कर लें, दोनों ही नित्य प्रात:काल अपने अपने ताबीज को धूप देते रहें ।
इस ताबीजों को धारण करने से पति –पत्नी के बीच प्रेम सम्बन्ध अत्यन्त दृढ़ होता है तथा उनका दाम्पत्य जीबन आनन्दमय बना रहता है ।
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