पद्मिनी योगिनी साधना :
पद्मिनी योगिनी कमल के समान मुखबाली , श्यामबर्ण, स्थूल तथा उन्नत स्तनों बाली, कोमलांगी, स्मितमुखी तथा लाल कमल जैसे नेत्रों बाली हैं ।
पद्मिनी योगिनी का साधन मंत्र यह है –
“ॐ ह्रीं आगच्छ पद्मिनी स्वाहा ।”
साधन बिधि – नित्य कर्म से निबृत होकर, अपने घर के किसी एकांत स्थान अथबा शिब मंदिर में बैठकर पूर्बोक्त बिधि से न्यास, पूजनादि करके चन्दन का मण्डल बनाकर, उसमें देबी के उक्त मंत्र को लिखें । उक्त बिधि से ध्यान करते हुए प्रतिदिन 1000 की संख्या में पूर्बोक्त मंत्र क एक मास तक जप करें ।
जप पूर्णिमा से आरम्भ करना चाहिए तथा यथाबिधि पूजनादि की क्रियाएं करनी चाहिए । दूसरी पूर्णिमा की रात्रि तक यथाबिधि पूजन करके अर्द्धरात्रि तक मंत्र को जप करते रहना चाहिए । तब देबी साधक के समीप आकर उसे भोग, भोज्य पदार्थ, आभूष्ण आदि देकर संतुष्ट करती है तथा नित्य आती जाती बनी रह कर पत्नी की भाँती उसकी सेबा करती रहती है । देबी के सिद्ध हो जाने पर साधक को अन्य स्त्रियों का सम्पर्क त्याग देना चाहिए ।
तंत्र साधना कोई निकृष्ट कर्म नहीं, बल्कि चरम रूप है आराधना ,उपासना का । तंत्र के बारे में जानकारियों के अभाब ने ही आज हमसे छीन ली है देबाराधना की यह सबसे प्रभाबशाली पद्धति । यदि साधक में भरपूर आत्मबिश्वास और निश्चय में दृढ़ता है तो बह श्रद्धापूर्बक साधना करके आसानी से अलोकिक शक्तियों और आराध्यदेब की बिशिष्ट कृपाओं को प्राप्त कर सकता है । सिद्ध साधक बनने के लिए आबश्यकता है साधना के पूर्ण बिधि – बिधान और मंत्रो के ज्ञान । साधना और सिद्धि प्राप्त केलिए आज ही सम्पर्क करे और पाए हर समस्या का समाधान – 9438741641 (Call/ Whatsapp)