पितर दोष मंत्र प्रयोग:
पितर दोष निबारण मंत्र : पितर दोष एक ऐसी भयानक स्थिति होती है जिसमे किसी ब्यक्ति के पुर्बोजों के पित्रुओं की आत्माओं के साथ कोई दुखद या आबश्यक आत्मिक चिंता का कारण होता है । पितर दोष का प्रभाब उसके जीबन में समस्याओं का कारण बन सकता है , जैसे कि बिगड़ते रिश्तों , आर्थिक संकटों और स्वास्थो संबधी मुद्दे । पितर दोष को शांत करने के लिए मंत्र प्रयोग किया जा सकता है और यंहा एक सरल प्रभाबी पितर दोष निबारण मंत्र प्रयोग दी जा रही है जिसका पालन करके आप पितर दोष को शान्ति प्राप्त कर सकते हैं ।
पितर दोष निबारण मंत्र :
“सतगुरु गोरख भाखे बानी, देब पितर हम देबत पानी । सत गवाही सूरज करे, पूनम चन्दा माबस सरे। पितर हो शुकर मनाबें, गंगा मैया सुरग पठाबें। कौन कौनसे पितर सूरग गए परसन्न भए, बाल बिरमचारी निपुतरी नाग पितर गिरस्त ब्याए ढयाए ।रंडूआ महुआ छोटे बड़े खोटे खरे , ऊँचे निचे आगले पीछले पितर परसन्न भए। बिरामन छतरी परसन्न भए ।बनिक चण्डाल परसन्न भए। सबन को सुरग पठाबें, लोना जोगन बिमान चढ़ाबे । जाओ जाओ पितरदेब सुरग सुख भोगो, हमें न सताओ जो सताओ तो हनुमान का घोटा खाओ । मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, मंत्र सांचा पिण्ड कांचा फुरों मंत्र इश्वरो बाचा ।”
इसका प्रयोग पितृपक्ष में किया जाता है । पूर्णिमा के दिन चूने के पांच – सात कंकड़ ले आबे यदि चूने के कंकड़ नहीं मिले तो चांदी के सर्प बना लेबे । उन्हें लकड़ी की चौकी पर सफ़ेद रेशमी बस्त्र बिछाकर स्थापित कर देबे। फिर उन्हें दूध दही से स्नान कराबें । तत्पश्चात् शुद्ध जल ब गंगाजल से स्नान करायें । दीप धूपादि से पूजा कर पितरों को चाबल की खीर अर्पित करे । पूजा काल में सफ़ेद बस्त्र पहनना चाहिए स्वेत पुष्प चढाने चाहिए और सफ़ेद ही आसन होना चाहिए ।पितरो का तर्पण करते हुए इस मंत्र का जप करते रहना चाहिए । इस प्रयोग से पितर देब प्रशन्न होते है ।
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