बन्ध्या स्त्री की चिकित्सा का मंत्र :
ओम श्री देबेन्द्राय नम: ।
माही का कोठा, कोठे में नारी ।
नारी में नाडी, नाडी में प्राण ।
आंखों में चितबन, ओठों पै तान ।
नाडी में रास रचाबे किसन भगबान ।
सांस दे, शक्ति दे, प्रेम का बरदान दे ।
राख बीच बिष्णुरूप पुत्ररत्न दान दे ।
आ जा अब तन बीच, मन और प्राण बीच ।
हृदय बीच, गर्भ बीच, नाभि के प्राण बीच ।
मूल बीच आ के तू सिर में समाना ।
हृदय बीच आ के तू नाभी में आ जा ।
ओम नम: देब तुझे भक्ति की आन ।
गुरु की शक्ति और मन की शक्ति की आन ।
ओम लिं लिं लिं यं फट् स्वाहा ।
इस मंत्र की सिद्धि सबा लाख मंत्र जपने से होती है। यह श्रीकृष्ण का मंत्र है ।बिष्णु क्रूपा से ही पुरुस में शुक्राणु एब स्त्री में डिम्ब का निर्माण होता है।बैज्ञानिक शव्दों में कहें, तो नाभिकीय कण सदा नाभिक से निकलता है। यदि नाभिक या अपने अन्दर के बिष्णु सश्क्त नहिं हुए ,तो डिम्ब या शुक्राणु का बीज ही नहीं निकलेगा।
स्त्रियों के लिए श्रीकृष्ण की पूजा- आरधना इसलिए उचित है कि राम में मर्यादा है, बिष्णु में श्रद्धा (आदरभाब) –ये दोनों भाब रतिक्रीडा में बाधक होते हैं। अत: श्रीकृष्ण का प्रेमी या मीत भाब ही उचित है ।बाममार्ग में काली का आव्हान किया जाता है, जिसकी प्रचण्ड श्कति बिष्णु,अर्थात् ह्रुदय केन्द्र को जबरदस्ति सश्क्त बनने पर बिबश कर देती है।
इस मंत्र को 108 बार प्रतिदिन 21 दिन तक रात्रि में 9 से 12 (यह देख लेना चाहिए की यह क्रिया ऋतु के बाद की जाती है) तक की जाती है। इस 21 दिन तक स्त्री को पूर्ण स्वच्छ, प्रसन्न और कृष्ण भाब में डूबना चाहिए। मंत्र पाठ के साथ गाय और बकरी का घी स्त्री के चांद पर डालते रहना चाहिए। कान और नाक में भी डालें (एक बार) ।
इस तंत्र क्रिया में स्त्री को प्रतिदिन अपने हाथों से खीर बनाकर पहले श्रीकृष्ण, फिर गुरु, फिर पति को खिलाने चाहिए और इसके बाद स्वय भी खानी चाहिए। तंत्र क्रिया के बीच स्त्री को पति से अलग सोना चाहिए और घी, भात खाना चाहिए। दुध, हरी सब्जी अनुमेय है।
यदि बन्ध्यापन डिम्ब न बनने के कारण है या अंगदोष के अतिरिक्त कोइ कारण है, तो 100 प्रतिशत गारन्टी है कि बह सन्तानबती होगी।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार : मो. 9438741641 {Call / Whatsapp}