यह साधना करने से पहले निम्न सामान इक्ट्ठा कर लें- सबा गज नीला कपडा, चौमुखा दीपक, ४० मिट्टी का लोटा, एक सफेद बस्त्र का आसन, २३२ बती, ५ दाने छोटी इलायची, एक छुहारा, एक नीली रूमाली, १ माचिस, ८ दाने लौंग, १० सेर मीठा तेल, एक इत्र की शीशी, ५ फल, गेरू की कली एक, कृष्ण पक्ष में मंगलबार के दिन रात को १२ बजे स्नान करके नीली रंग की रूमाली पहनकर सफेद आसन बिछा कर उस पर पूर्ब की और मुंह करके बैठें और अपने सामने नीला कपडा बिछायें। तथा चौमुखा दीपक जलाबें जितनी संख्या ऊपर बताई गई है उतनी संख्या में लौंग छुहारा लडडू कपडे के चारों कोनों पर बांधें, सात बार मंत्र को पढकर अपने चारों तरफ एक रेखा खीचें, एक लोटा पानी अपने पास रखें।
तत्पश्चात् माला लेकर २१ माला का जप करें। मंत्र नीचे दिया है।
जहाँ सुमरू तहाँ हाजिर खडा।
चौरस्ते की मिट्टी सशान की छाई।
हमरी भक्ति गुरू की शक्ति।
बिधि : पानी में प्रतिबिम्ब देखें, जिसको बश में करना हो उसकी फोटो भी रखे अर्थात् जिसको बश में करना हो उसका ध्यान करते हुए मंत्र पढने बाले का प्रतिबिम्ब पानी में दिखाई देना चाहिए और मंत्र पढने के बाद दीपक को बहते हुए जल में छोड आबे। आते – जाते कोई न टोके अन्यथा सारा कार्य जाता रहेगा। यदि प्रेम शुद्ध होगा तो जिसको बश में करने का प्रयोग किया जायेगा बह अबश्य ही (स्त्री) काबू में हो जायेगी।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या
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