चमत्कारी महाकाली सिद्ध अनुभूत मंत्र :
महाकाली मंत्र :“ओम सत् नाम गुरु का आदेश । काली-काली महाकाली, युग आद्दा काली, छाया काली, छूं मांस काली । चलाए चले, बुलाई आए, इति बिनिआस । गुरु गोरखनाथ के मन भाबे ।काली सुमरुं, काली जपूं, काली डिगराऊ को मैं खाऊं । जो माता काली कृपा करे, मेरे सब कष्टों का भंजन करे ।”
महाकाली मंत्र बिधि : ऊक्त महाकाली मंत्र का सबा लाख जप ४० या ४१ दिनों में करे।
सामग्री : लाल बस्त्र ब आसन, घी, पीतल का दिया, जौ, काले तिल, शक्कर, चाबल, सात छोटी हाँडी-चूडी, सिन्दूर, मेंहदी, पान, लौंग का जोडा, सात मिठाइयां, बिन्दी, चार मुंह का दिया ।
पहले उक्त महाकाली मंत्र को कण्ठस्थ कर ले । शुभ समय पर जप शुरु करे । गुरु-शुक्र अस्त न हों। दैनिक “सन्ध्या-बन्दन” के अतिरिक्त अन्य किसी मंत्र का जप ४० दिनों तक न करे । भोजन में दो रोटियां १० या ११ बजे दिन के समय ले । ३ बजे के पश्चात् खाना-पीना बन्द कर दे । रात्रि ९ बजे पूजा आरम्भ करे । पूजा का कमरा अलग हो और पूजा के सामान के अतिरिक्त कोई सामान बन्हां न हो । प्रथम दिन कमरा कच्चा है तो गोबर का लेपन करे । पक्का है तो पानी से धो ले । आसन पर बैठने से पूर्ब स्नान नित्य करे । स्त्री हो या पुरुष – शिर में कंगि न करे । मा की सुन्दर मूर्ति रखे और धूप-दीप जलायें । जन्हा पर बैठे, चाकु या जल से सुरख्या-मंत्र पढकर रेखा बनाये । पूजा का सब समान “सुरख्या-रेखा” के अन्दर होना चाहिये ।
सर्बप्रथम गुरु-ग़णेश बन्दना कर १ माला अर्थात् १०८ मंत्रो से हबन करे । हबन के पश्चात् जप शुरु करे । जप समाप्ति पर जप से जो रेखा-बन्धन किया था, उसे खोल दे । रात्रि में थोडी मात्रा में दूध-चाय ले सकते हैं । जप के सात दिन बाद एक हाँडी लेकर पूर्बलिखित सामान (सात मिठाई, चूडी इत्यादि) उसमें डाले । ऊपर ढक्क्न रख कर उसके ऊपर चार मुख का दिया जला कर सायं समय जो आपके निकट हो, ऐसी रजबाहा या नदी या नहर या चलता पानी हो, उस जल में हाँडिया को नमस्कार कर बहा दे । लौटते समय पीछे मुडकर न देखे । ३१ दिनौं तक धूप-दीप जप करने के पश्चात् ७ दिनों तक एक बूंद रक्त जप के अन्त मे पृथ्वी पर टपका दें और ३९ बें दिन जिह्वा का रक्त दें । मंत्र सिद्ध होने पर इछित बरदान प्राप्त करे ।
साबधानिया : प्रथम दिन जब से पूर्ब हण्डी को जल में सायं समय छोडे और एक-एक सप्ताह बाद उसी प्रकार समय सायं उसी स्थान पर,यह हाँडी छोडी जायेगी । जप के एक दिन बाद दूसरी हाँडी छोडने के पश्चात् भूत-प्रेत साधक को हर समय घेरे रहेंगे । जप में लगा रहे, घबराये नहीं । बे सब कार के अन्दर प्रबिष्ट नहीं होंगे । मकान में आग लगती भी दिखाई देगी; परन्तु आसन से न उठे। ४० या ४२ बें दिन मा बर देगी । जो इछा हो, मांग ले । भबिष्य-दर्शन ब होनहार घटनायें तो सात दिन जप के बाद ही ज्ञात होने लगेंगी । एक साथी या गुरु कमरे के बाहर नित्य रहना चाहिये ।
साधक को निर्भीक ब आत्म-बलबाला होना चाहिये । जो भबिष्य ज्ञान एबं होनहार घटना ४० दिन के भीतर हो, उसे किसी को न बताये । बरदान प्राप्ति के बाद ही सारे कार्य करे ।
(सिद्ध गुरु के देखरेख मे महाकाली साधना करे, बिना गुरु से साधना अपना मत को खुद बोलाने के बराबर है)
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार : मो. 9438741641 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या