१. श्वेत पुनर्नवा की जड़ को दूध के साथ घिसकर पिलाने से स्त्री को गर्भ ठहरता है।
२. श्वेत रांगणी मूल पुष्य नक्षत्र में लेकर एक वर्ण की गाय के दूध में पिए तो बंध्या भी पुत्रवती होती है।
३. श्रवण नक्षत्र में आंवली की जड़ नागर बेल के रस में पिए तो स्त्री नवयौवन होती है।
४. अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ को लाकर सर पर रखे तो शत्रु भी मित्र हो जाते हैं।
५. हस्त नक्षत्र में चम्पा की जड़ लाकर गले में पहनने से भूत-प्रेत नहीं लगता।
६. पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में आम की जड़ को लाकर दूध में घिसकर पिलाने से बाँझ स्त्री को संतान की प्राप्ति होती है।
७. पुनर्वसु नक्षत्र में मेहँदी की जड़ लाकर पास में रखने पर शरीर से अच्छी सुगंध आती है।
८. अश्विनी नक्षत्र में अर्ध्दरात्रि में नग्न होकर अपामार्ग की जड़ को लाए। फिर उसे गले में ताबीज के अंदर धारण करने पर राज्य अधिकारी तथा उच्चाधि – कारी अनुकूल होते है।
९. श्वेतसरपंखा की जड़ को नाभि पर लेप वीर्य का स्तम्भन होता है।
१०. मयूरशिखा की जड़ को तीन दिन दूध के साथ पीने से स्त्री पुत्रवती होती है।
११. मातुलिंग (बिजौरा) के बीज के दूध के साथ खीर बनाकर घी के साथ पीने पर स्त्री को निश्चय ही गर्बधारण होता है।
१२. लक्ष्मणा तीन भाग, उभयलिंगी चार भाग, बिहाली छः भाग सब मिलाकर गाय के दूध में पीसकर ऋतुकाल में स्त्री को पिलाने से पुत्र उत्पन्न होता है।
१३. ज्येष्ठ नक्षत्र में जामुन की जड़ लाकर पास रखने पर राज्य सम्मान मिलता है।
१४. स्वाति नक्षत्र में मोगरा की जड़ लेकर भैंस के दूध में घिसकर पीने से रंग में निखार आता है व गोरापन बढ़ता है।
१५. मघा नक्षत्र को पीपल की जड़ लेकर अपने पास रखने पर रात में दुःस्वप्न नहीं आते है।
१६. भरणी नक्षत्र में संखाहोली की जड़ लाकर चांदी अथवा सोने के ताबीज में लगवाकर पहनने से परस्त्री वशीभूत होती है।
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