श्मशान साधना मंत्र क्या है ?

श्मशान साधना मंत्र :

श्मशान साधना मंत्र : जिस तरह देब नदियों के किनारे मरघट होते हैं ठीक उसी तरह अन्य स्थानों में जहाँ शबों की अन्तिम क्रिया की जाती है बहाँ पर श्मशान होते हैं । और इन श्मशानों में भी मरघट की भांति अनेकों शक्तिशाली आत्माएं होती हैं ।

साधना परिचय : मरघट की आत्माओं और उप-देबताओं की ही भांति श्मशानों के भी देबता और आत्माओं की साधनाएं साधकगण युगों से करते आ रहे हैं । अत: यहाँ पर कुछ श्मशानी साधनाएं भी बर्णित की जा रही हैं । श्मशान साधना की मुख्य साधनाओं में श्मशान के मुख्य देबता की साधना ही अधिक सक्षम होती है ।

साधना फल : इस साधना की सिद्धि होने पर साधक के साथ श्मशान की कोई न कोई आत्मा हर समय रहने लगती है ये साधक के इछित कार्य सम्पन्न करती है । तमाम तरह के चमत्कार, शत्रु संहार,गुप्त बातें बताना और भूमिगत धन का ज्ञान श्मशान के सिद्ध साधकों के लिए बाएं हाथ का खेल हो जाता है ।

साधना बिधान : श्मशान की साधना भी तीन माह की साधना होती है । कोई पुराना निर्जन श्मशान चुनकर बहाँ पर श्मशान के मध्य साधना स्थल बनाबें और पूर्णमासी को सायंकाल स्नानादि करके साधना आरम्भ करें । पूर्णमासी को श्मशान की पूजाकर श्मशान के सभी देबी देबताओं और आत्माओं के लिए भी पूजा करें फिर रात में निम्न मंत्र का जप करें । पूजा और साधना दोनों के अलग-अलग मंत्र यहाँ दिए हैं । यह क्रिया तीन महिने तक लगातार नित्य प्रति रात में करके घर चला आबे किन्तु साधना से पहले रक्षा उपाय करके ही जाबे । अन्यथा अनिष्ट होने की बहुत सम्भाबना बनी रहती है । यह बीरबेश की साधना है जो अत्यन्त उग्र और भयाबह है हिम्मत से काम लें ।

श्मशान साधना मंत्र : ॐ नमो: श्मशानेश्वर प्रत्क्षोभब प्रसीद स्वाहा।।
इस मंत्र का ३००० जप नित्य रात में करें ।

श्मशान साधना मंत्र (पूजा मंत्र) : ॐ नमो: समस्त श्मशान बासिन्यो, श्मशानेश्वर च मम पूजा ग्रहण ग्रहण स्वाहा।
इस श्मशान साधना मंत्र से पूजा करें । पूजन सामग्री अर्पित करें ।

साधना की बिधि : पूजन सामग्री में दाल-भात ,पूरी, खीर पुआ (मीठे) जल, शराब अलग- अलग पतलों में और पात्रों में श्मशान बासियों के लिए तथा श्मशानेश्वर के लिए देबें । अमाबस्या पूर्णमासी को पूरा भोग, शेष दिन दाल –भात, मदिरा और जल देबें । इसके पहले धूप दीप, जल, फूल, चाबल चन्दन , फल देकर पूजा करें ।

साधक की गति : श्मशान –साधक मरने पर मुक्त नहीं होता बह स्बयं भी मरकर श्मशानबासिनी आत्मा बनता है । उसे सिद्ध हुआ श्मशान उसे भी अपने समूह में मिला लेता है और साधक श्वयं भी बहीं निबास करता है ।

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