अक्षय तृतीया पर राशि अनुसार करें दान,पूरी होंगी मनोकामनाएं :
अक्षय तृतीया पर राशि अनुसार करें दान,पूरी होंगी मनोकामनाएं :
May 10, 2021
अक्षय तृतीया 2021 पर आपका हर समस्या होगी दूर :
अक्षय तृतीया 2024 पर आपका हर समस्या होगी दूर :
May 10, 2021
2021 अक्षय तृतीया पर करे श्री सूक्तम का प्रयोग:
2024 अक्षय तृतीया पर करे श्री सूक्तम का प्रयोग:
 
अक्षय तृतीया, इस वर्ष 10 मई 2024 (शुक्रबार) को पड़ता है । इसके महत्व के साथ, यह रोहिणी नक्षत्र के साथ आता है, जो शास्त्रों के अनुसार एक भाग्यशाली सितारा माना जाता है।
 
अक्षय तृतीया को कुछ भी नया शुरू करने के लिए एक बेहद आशाजनक दिन माना जाता है। लोग घर पर विशेष प्रार्थना करते हैं और सोना, चांदी और कीमती सामान भी खरीदते हैं क्योंकि यह माना जाता है की ऐसा करने से सौभाग्य आता है।
 
संस्कृत शब्द अक्षय का अर्थ है ‘अंतहीन’। हिंदू धर्म ग्रंथों में अक्षय तृतीया के संदर्भ हैं। कुछ अच्छी पुस्तकों का मानना है कि सत युग और त्रेता युग की शुरुआत इसी दिन हुई थी।
 
भगवान गणेश ने इस दिन महाकाव्य ‘महाभारत’ की रचना शुरू की। अक्षय तृतीया के दिन, भगवान कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को समृद्धि और धन के साथ इश्वर्य लाभ दिया । यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती भी है। इस दिन पृथ्वी पर पवित्र नदी गंगा का अवतरण भी हुआ।
प्रसाद :कुमकुम , अभिमंत्रित श्रीयंत्र ,कलावा।
 
प्रयोगः-
१॰ श्री-सूक्त के १५ मन्त्रों और उपर्युक्त ३२ नामों से प्रति-दिन ‘घी’ से हवन करने पर ६ मास में भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है ।
 
२॰ शुक्ल-पक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ करके प्रति-दिन “कांसोस्मीति॰” इस ऋचा का एक सौ आठ बार जप करके घी से ग्यारह बार हवन करें । इस प्रयोग से ६ मास में सम्पदा की प्राप्ति होती है ।
 
३॰ स्नान के समय श्री-सूक्त के मन्त्रों से जल-ग्रहण करे । उस जल को तीन बार अभिमन्त्रित करके उससे तीन बार अपना अभिषिञ्चन करे । फिर सूर्य की ओर मुँह करके तीन बार श्री-सूक्त का तीन बार जप करे । फिर तीन बार तर्पण करे । सूर्य-नारायण की पूजा करके हविष्यान्न से प्रतिदिन हवन करे । ६ मास में लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।
 
४॰ प्रत्येक शुक्रवार को १०८ अधखिले कमल लाकर उनमें नवनीत (मक्खन) भरे । अन्तिम ऋचा का पाठ करते हुए इन कमलों से हवन करे । ४४ शुक्रवार तक यह प्रयोग करने से चञ्चला लक्ष्मी अचञ्चला हो जाती है ।
 
विधि-निषेध – पुरश्चरण प्रयोग-काल में साधक शुद्ध श्वेत वस्त्र धारण करे । शरीर पर हल्दी का लेप न लगाए । द्रोण पुष्प, कमल, बिल्व-पुष्प धारण न करे । नग्न होकर जल में प्रवेश न करे । शुद्ध शय्या पर शयन करे । उच्छिष्ट मुँह और तेल लगाकर जप/पूजा न करे । नीच व्यक्तियों का स्पर्श/ सम्पर्क न करे ।
 
पूजा के शुभ फल :
• दीर्घायु, स्वास्थ्य, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
• सभी बाधाओं को दूर करने में सहायता प्राप्त होती है ।
• व्यापार में विकास होता है।
• प्रगति के मार्ग प्रशस्त होते है।
 
 
To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us :
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार: 9438741641 (call/ whatsapp)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *