माता गौरी का आमंत्रण कैसे करें:
गौरी मंत्र : उक्त गौरी मंत्र जाप जपते हुयें महामाया उमा, गौरी (पार्बती) का आह्वान किया जाता है फिर किसी जप-तप ब पूजा पाठ में स्मरण कर सकते हैं । भगबान श्री गणेश और माता गौरी का ध्यान स्मरण करने से कार्य में सफलता अबश्य मिलती है । श्री गणेश आह्वान जाप (मंत्र) से पूजा-पाठ के आरम्भ में साधक ब भक्तजन अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, दूर्बा लेकर आह्वान करते हैं और उनको आसन पर बिराजमान किया जाता है । आसन लकडी की चौकी आदि पर सुपारी मौली पर भाबना देकर या चित्र का ध्यान करके स्थापित करके मानसिक रूप से पूजन करते हैं । लेकिन कुछ अनुष्ठान में यंत्र, प्रतिमा, तस्बीर रखकर भी आहवान किया जाता है । गौरी मंत्र आह्वान में साधक अपने हाथ में अख्यत, पुष्प, कुम्कुम लेकर अपरोक्त माता गौरी का आह्वान मंत्र बोले और आसन प्रदान करें और आसन देने के बाद पंचोपचार पूजन कर ले । फिर साधना या पूजा का अनुष्ठान आरम्भ करे ।
माता गौरी मंत्र (शाबर मंत्र बिधि के साथ )
गौरी मंत्र :
सत नमो आदेश गुरुजी को आदेश। ओम गुरुजी ओम उत्तर
दिशा से जोगेण आई आदि कुंबारी का उपदेश। चौकी
पूरे जोगेन गौरी रख्या करे श्री गणेश। गौरी जोगन जुगत
की जाने, चार जुग्जुग में आने, आसन बैठ होमे काया।
सो जोगेण परत कख्य गौरजा महामाया।इति गौरजा आह्वान
सम्पूर्ण भया। श्री आदिशक्ति को आदेश-आदेश।। (गौरी मंत्र का 108 बार नित्य)
फिर माता के आगे हाथ्जोडकर मन ही मन आत्म संकल्प लें की मैं मेरी समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिये सात रबिबार तक पूजा पाठ, उपासना करुंगी या करुंगा साथ ही धर्म के मार्ग पर चलूंगा या चलूंगी।सच्चे मन से आपकी भक्ति ब स्मरण करुंगा आप मेरी मनोकामना पूर्ण करों । इसी भांति प्रार्थना करके अनुष्ठान आरम्भ करें फिर हरेक रबिबार मन्दिर जायें और मां के दर्शन करके ब्रत खोले ऐसा सात रबिबार करें।
साधकों ! उपरोक्त कामना ब प्रयोग के साथ-साथ आप अपने घर पर भी माता मेलडी का ध्यान-पूजन, स्मरण करके मेलडी अष्टक का पाठ कर सकते हैं । जो माता मेलडी के भक्त है या साधक है बे लोग अपने घर पर भी प्रतिदिन पूजा पाठ कर सकते है । लेकिन जिन लोगों के इष्ट देबता और इष्ट देबी मेलडी माता न हो बो साधक केबल रबिबार के दिन माता मेलडी के मन्दिर जाकर पूजा पाठ कर लेंगे तो भी चलेगा अगर आप चाहे तो रबिबार के दिन माता मेलडी का धूप दीप ब पाठ आदि अपने घर मे भी एक कमरे में बैठकर करें । लेकिन अपने कुल देबी और देबता के साथ में मेलडी माता की पुजा पाठ नहीं करे यही उचित होगा । क्योंकि कई देबी देबता के आगे मेलडी माता की पूजा पाठ नहीं होता एबं इनकी पूजा बिधि दूसरे देबी देबताओं से भिन्न भी है । इसलिये सभी को यह बात ध्यान में रखनी चाहिये। अन्यथा कोई नई समस्या उत्पन्न हो जायेगी।
मेरी राय से आप सभी साधक ब उपासक किसी मेलडी माता के मंदिर जाकर ही पूजा पाठ भक्ति, भजन आदि करे तो अधिक लाभकारी होगा और किसी भी प्रकार की कोई शंका या समस्या भी नहीं होगी । आप किसी भी रबिबार के दिन से सात रबिबार ब्रत उपबास का नियम लेकर अनुष्ठान कर सकते हैं । फिर आपको हरेक रबिबार ब्रत रखना पडेगा और माता मेलडी के मन्दिर जाकर उनके दर्शन करके अपनी शक्ति के अनुसार उनकी पूजा भेंट करके अपनी कामना की पूर्ति के लिये मां से प्रार्थना करके अपने घर आकर उपबास खोलना होगा। इसी भांति सात रबिबार करें। जब आपकी कामना पूरी हो जाये तो अपनी इछा के अनुसार माता को तन मन धन ब पूजा पाठ से प्रसन्न करे अर्थात् जो मिले बह भेट कर सकते हैं । अगर आप यह प्रयोग बिस्वास और श्रधापूर्बक धैर्य के साथ करेंगे तो सफलता अबश्य मिलेगी । लेकिन किसी अन्य ब्यक्ति या जीब को कष्ट देने की इछा मन में रखकर करेंगे तो कोई लाभ नहीं होगा । कयोंकी माता केबल सत्य का साथ देती है । अगर आप निर्दोष है तो आपकी इछा अबश्य ही पूर्ण हो ।
यह दिव्य गौरी मंत्र किसी ब्रह्मास्त से कम नही , अगर रोज (नित्य) इस मंत्र का 108 बार पाठ किया जाए तो शरीर में अद्भुत शक्ति की संचारण स्वयं अनुभब करेंगे साथ साथ आपके साथ अचानक बदलाब देखने को मिलता है …ये गौरी मंत्र कोई चमत्कारी मंत्र से कम नही है ।
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जय माँ कामाख्या