शास्त्रानुसार घर में खुशहाली कैसे लाएं ?

शास्त्रानुसार घर में खुशहाली कैसे लाएं ?

घर में खुशहाली : हमारे शास्त्रों में कई ऐसे काम बताएं गए है जिनका पालन यदि किसी परिवार में किया जाए तो वो परिवार पीढ़ियों तक खुशहाल बना रहता है । आइए जानते है शास्त्रों में बताएं गए 9 ऐसे ही काम ।
1. कुलदेवता पूजन और श्राद्ध-
जिस कुल के पितृ और कुल देवता उस कुल के लोगों से संतुष्ट रहते हैं । उनकी सात पीढिय़ां खुशहाल रहती है । हिंदू धर्म में कुल देवी का अर्थ है कुल की देवी । मान्यता के अनुसार हर कुल की एक आराध्य देवी होती है । जिनकी आराधना पूरे परिवार द्वारा कुछ विशेष तिथियों पर की जाती है । वहीं, पितृ तर्पण और श्राद्ध से संतुष्ट होते हैं । पुण्य तिथि के अनुसार पितृ का श्राद्ध व तर्पण करने से पूरे परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में खुशहाली बनी रहती है ।
2.जूठा व गंदगी से रखें घर को दूर-
जिस घर में किचन मेंं खाना बिना चखें भगवान को अर्पित किया जाता है । उस घर में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती है । इसलिए यदि आप चाहते हैं कि घर पर हमेशा लक्ष्मी मेहरबान रहे और घर में खुशहाली बनी रहे तो इस बात का ध्यान रखें कि किचन में जूठन न रखें व खाना भगवान को अर्पित करने के बाद ही जूठा करें। साथ ही, घर में किसी तरह की गंदगी जाले आदि न रहे । इसका खास ख्याल रखें ।
3. इन पांच को खाना खिलाएं-
खाना बनाते समय पहली रोटी गाय के लिए निकालें । मछली को आटा खिलाएं । कुत्ते को रोटी दें । पक्षियों को दाना डालें और चीटिंयों को चीनी व आटा खिलाएं । जब भी मौका मिले इन 5 में से 1 को जरूर भोजन करवाएं ।
4. अन्नदान –
दान धर्म पालन के लिए अहम माना गया है । खासतौर पर भूखों को अनाज का दान धार्मिक नजरिए से बहुत पुण्यदायी होता है । संकेत है कि सक्षम होने पर ब्राह्मण, गरीबों को भोजन या अन्नदान से मिले पुण्य अदृश्य दोषों का नाश कर परिवार को संकट से बचाते हैं । दान करने से सिर्फ एक पीढ़ी का नहीं सात पीढिय़ों का कल्याण होता है और घर में खुशहाली बनी रहती है ।
5. घर में खुशहाली बनी रहनी केलिए वेदों और ग्रंथों का अध्ययन –
सभी को धर्म ग्रंथों में छुपे ज्ञान और विद्या से प्रकृति और इंसान के रिश्तों को समझना चाहिए । व्यावहारिक रूप से परिवार के सभी सदस्य धर्म, कर्म के साथ ही उच्च व्यावहारिक शिक्षा को भी प्राप्त करें ।
6. तप –
आत्मा और परमात्मा के मिलन के लिए तप मन, शरीर और विचारों से कठिन साधना करें । तप का अच्छे परिवार के लिए व्यावहारिक तौर पर मतलब यही है कि घर में खुशहाली और परिवार के सदस्य के बिच में सुख और शांति के लिए कड़ी मेहनत, परिश्रम और पुरुषार्थ करें ।
7. पवित्र विवाह –
विवाह संस्कार को शास्त्रों में सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है । यह 16 संस्कारों में से पुरुषार्थ प्राप्ति का सबसे अहम संस्कार हैं । व्यवहारिक अर्थ में गुण, विचारों व संस्कारों में बराबरी वाले, सम्माननीय या प्रतिष्ठित परिवार में परंपराओं के अनुरूप विवाह संबंध दो कुटुंब को सुख देता है । उचित विवाह होने पर स्वस्थ और संस्कारी संतान होती हैं, जो आगे चलकर कुल का नाम रोशन की साथ साथ घर में खुशहाली बनी रहती है ।
8. इंद्रिय संयम से घर में खुशहाली बनी रहती है –
कर्मेंन्द्रियों और ज्ञानेन्द्रियों पर संयम रखना । जिसका मतलब है परिवार के सदस्य शौक-मौज में इतना न डूब जाए कि कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को भूलने से परिवार दु:ख और कष्टों से घिर जाए ।
9. सदाचार –
अच्छा विचार और व्यवहार । संदेश है कि परिवार के सदस्य संस्कार और जीवन मूल्यों से जुड़े रहें । अपने बड़ों का सम्मान करें । रोज सुबह उनका आशीर्वाद लेकर दिन की शुरुआत करे ताकि सभी का स्वभाव, चरित्र और व्यक्तित्व श्रेष्ठ बने । स्त्रियों का सम्मान करें और परस्त्री पर बुरी निगाह न रखें । ऐसा करने से घर में खुशहाली साथ साथ हमेशा मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है ।

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Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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