लग्न कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति के अनुसार स्त्री जातक का फलादेश :

लग्न कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति के अनुसार स्त्री जातक का फलादेश :

चन्द्रमा की स्थिति : स्त्री जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा की स्थिति यदि मेष अथवा वृश्चिक राशि में स्थित हो एवं मंगल के त्रिंशांश में भी स्थित हो तो, ऐसी स्त्री दुष्ट प्रवृत्ति की होती है। चन्द्रमा यदि मेष अथवा वृश्चिक राशि में स्थित हो एवं बुध के त्रिंशांश में भी स्थित हो तो, ऐसी स्त्री दासी होती है, गुरू के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री सुशील एवं धनी होती है, बुध के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री मायाविनी होती है एवं शुक्र के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री चरित्र दोष से युक्त होती है ।
♦ स्त्री जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा यदि वृष अथवा तुला राशि में स्थित हो एवं मंगल के त्रिंशांश में भी स्थित हो तो, ऐसी स्त्री छल कपट युक्त होती है, शुक्र के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री बांझ होती है, गुरू के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री साध्वी प्रवृत्ति की होती है, बुध के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री गुणवती होती है एवं शुक्र के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री सदैव भोग विलास के लिए उत्सुक रहती है ।
♦ स्त्री जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा यदि कर्क राशि में स्थित हो एवं मंगल के त्रिंशांश में भी स्थित हो तो, ऐसी स्त्री स्वच्छंदा होती है, शनि के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री पति को हानि पहुंचाने वाली होती है, गुरू के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री विशिष्ट गुणों से युक्त होती है, बुध के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री शिल्पकला में प्रवीण होती है एवं शुक्र के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री उत्तम आचरण वाली होती है ।
♦ स्त्री जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा की स्थिति यदि धनु अथवा मीन राशि में स्थित हो एवं मंगल के त्रिंशांश में भी स्थित हो तो, ऐसी स्त्री अत्यंत गुणवती होती है, शनि के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री संभोग की कम इच्छा रखने वाली होती है, गुरु के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री गुणवान होती है, बुध के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री कला में कुशल होती है एवं शुक्र के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री सच्चरित्रा होती है ।
♦ स्त्री जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा की स्थिति यदि मकर अथवा कुंभ राशि में स्थित हो एवं मकर के त्रिंशांश में भी स्थित हो तो, ऐसी स्त्री दासी प्रवृत्ति की होती है, शनि के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री अन्य पुरुष में आसक्त होती है, गुरु के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री पति को अपने अधीन रखने वाली होती है, बुध के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री असती होती है एवं शुक्र के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री निःसंतान एवं दरिद्रा होती है ।
♦ स्त्री जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा की स्थिति यदि सिंह राशि में स्थित हो एवं मंगल के त्रिंशांश में भी स्थित हो तो, ऐसी स्त्री दुष्टा होती है, शनि के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री आचरणहीन होती है, गुरू के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री किसी रजवाड़े के स्वामी या किसी जमींदार आदि की पत्नी होती है, बुध के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री स्त्रियोचित चेष्टा के विरूद्ध पुरषों की तरह आचरण करने वाली होती है एवं शुक्र के त्रिंशांश में स्थित होने पर सम्बंधित स्त्री पति के अतिरिक्त अन्य पुरूष से भी रति सम्बन्ध रखने वाली होती है ।

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