ईच्छा पुर्ति मनसा देवी साधना:-
मनसा देवी एक निराली देवी है।माना जाता है ए प्रभु शिव का मानस पुत्री है।मनसा का आर्थ है ईच्छा ।जो ईच्छा सिद्ध कर दे,सत्य कर दे वह है मनसा देवी।ईनकि पुजा प्रथम आदिवासि लोग किया किया करते थे फिर हिँदु धर्म ईस देवी को आपना लिया ।
ईस विद्या से साधक पुरी तरहा एक जादुगर बान जाता है और कुछ भी कर साकता है।चुटकी बाजाते ही जो चाहे पा साकता है, और बहुत कुछ किया जा साकता जो साधक का ईच्छा हो,यानि कहा जा साकता है हर ईच्छा सच करने का ताकत हसिल होता है।
ईस मंत्र साधना मेँ माला कि जरुरत नही है।एक घंटा का प्रतिदिन जाप करना है। किसि भी दिन किसि भी समय साधना आरंभ किया जा साकता है।प्रतिदिन एक आधेरे कक्ष मेँ मनसा देवी के चित्र को पुष्प दे कर आगरवति और दिप जाला कर पुजा कारना है।
दिप को आपनी मार्जी से किसि भी स्थान रख ले प्रकाश के लिय।तेल रुप मेँ घि ले।आब चित्र को देखते हुए जाप करना है।
मंत्र- ॐ हुं मनसा अमुक हुं फट॥
इस मंत्र का जाप सख्या र्निधारित नही है।अमुक के स्थान पर कुछ भी जोड ले ।
ॐ हुं मनसा (..ईच्छा..) हुं फट॥पहले दिन जो भी जाप करते हे वह पुरा होने तक प्रतिदिन जाप करे,जाब पहला ईच्छा पुरा हो जाए तो दुसारा ईच्छा पर साधना कारना है,जाब दुसरा भी कामयब हो जाए तो तिसरा साधना कारना है ,जाब वह सच हो जाए तो जाने साधना सफल हुआ।
आब कित्ने समय मे आप का ईच्छा सच होता है ध्यान दे आगर एक दो मिनट मे सच हो जाए तो आगे पुजा पाठ कारने का जरुरत नही है,फिर सिर्फ जाप कारे और एक दो सेकेँड मेँ फल पाए तो आब पुरी तरहा से एक जादुगर है।
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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