जुम्मा मेहतरानी की सिद्धि :
“सात समुंन्दर एले पार, सात समुंन्दर पेले पार,
बीच मे टापु, टापु मे अखरेद का पेड !
उस पर बेठी जुमा मेहतरानी !
जुमा मेहतरानी क्या करेगी !
झारेगी, झारेगी फलां का भेद बताएगी !
इसी घडी मेरा काज करेके नही आयेगी
तो जुमा मेह्तरानी नही कहलायेगी !
मरघटिया म्सान के संग हराम करेगी!
सत्य नाम आदेश गुरु का !!”
जुमा मेहतरानी, मंध्यप्रदेश के देहाती खेत्र की एक तांत्रिक थी, जिस्की हत्या कर दी थी ! बहाँ इसके बहुत से सिस्य थे ! उन्होने इसकी पुजा प्रारम्भ कर दी ! यह शक्ति भी कर्ण पिशाचिनी जैसे ही है!
यन्हा हम अपने बुधिमान, तर्कशील जिंग्यासुओ को बताना चाहेंगे कि शक्तियो का रहस्य मानशिक गहनता,एकाग्रचितता और भाब-समीकरण मे होता है! इस पुजा मे जुमा मेहतरानी की आत्मा नही आती, बल्की उस्के स्वरुप भाब का जो समीकरण है, बह उर्जा समीकरण गहन होकर शक्ति देता है!
यह साधना सम्शान मे नग्न होकर की जाती है और इस्मे सुअर के दांतो (21) की माला और सुअर की चर्बि का दीपक जलाकर काले कम्बल पर दक्षिणोमुखी साधना की जाती है! मंत्र जाप क संख्या दस हज़ार है!
इस साधना मे भी अघोरक्रुत्य किया जाता है ! साधक जुठे बर्तन मे खाता है, मल-मुत्र बही त्याग करता है, बही सोता है !
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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