जादुई आईना सिद्धि साधना :
जादुई आईना सिद्धि साधना :
April 6, 2021
ऊपरी बाधा हटाने के उपाय :
ऊपरी बाधा हटाने के उपाय :
April 6, 2021
ग्रहण कालीन डाकिनी देवी सिद्धि साधना :
ग्रहण कालीन डाकिनी देवी सिद्धि साधना :
तंत्र जगत में डाकिनी का नाम अति प्रचलित है। सामान्यजन भी इस नाम से परिचित हैं। डाकिनी नाम आते ही एक उग्र स्वरुप की भावना मष्तिष्क में उत्पन्न होती है। वास्तव में यह ऊर्जा का एक अति उग्र स्वरुप है अपने सभी रूपों में डाकिनी की कई परिभाषाएं हैं। डाकिनी का अर्थ है –ऐसी शक्ति जो “डाक ले जाए “। यह ध्यान रख ले लायक है की प्राचीनकाल से और आज भी पूर्व के देहातों मेंडाक ले जाने का अर्थ है -चेतना का किसी भाव की आंधी में पड़कर चकराने लगना और सोचने समझने की क्षमता का लुप्त हो जाना। यह शक्ति मूलाधार के शिवलिंग का भी मूलाधार है।
तंत्र में काली को भी डाकिनी कहा जाता है यद्यपि डाकिनी काली की शक्ति के अंतर्गत आने वाली एक अति उग्र शक्ति है। यह काली की उग्रता का प्रतिनिधित्व करती हैं और इनका स्थान मूलाधार के ठीक बीच में माना जाता है। यह प्रकृति की सर्वाधिक उग्र शक्ति है। यह समस्त विध्वंश और विनाश की मूल हैं। इन्ही के कारण काली को अति उग्र देवी कहा जाता है जबकि काली सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति की भी मूल देवी हैं। तंत्र में डाकिनी की साधना स्वतंत्र रूप से भी होती है और माना जाता है की यदि डाकिनी सिद्ध हो जाए तो काली की सिद्धि आसान हो जाती है और काली की सिद्धि अर्थात मूलाधार की सिद्धि हो जाए तो अन्य चक्र अथवा अन्य देवी-देवता आसानी से सिद्ध हो सकते हैं कम प्रयासों में।
इस प्रकार सर्वाधिक कठिन डाकिनी नामक काली की शक्ति की सिद्धि ही है। डाकिनी नामक देवी की साधना अघोरपंथी तांत्रिकों की प्रसिद्द साधना है। हमारे अन्दर क्रूरता, क्रोध, अतिशय हिंसात्मक भाव, नख और बाल आदि की उत्पत्ति डाकिनी की शक्ति से अर्थात तरंगों से होती है। डाकिनी की सिद्धि पर व्यक्ति में भूत-भविष्य-वर्त्तमान जानने की क्षमता आ जाती है। किसी को नियंत्रित करने की क्षमता ,वशीभूत करने की क्षमता आ जाती है। यह साधक की रक्षा करती है और मार्गदर्शन भी। यह डाकिनी साधक के सामनेलगभग काली के ही रूप में अवतरित होती है और स्वरुप उग्र हो सकता है। इस रूप में माधुर्य-कोमलताका अभाव होता है। सिद्धि के समय यह पहले साधक को डराती है। फिर तरह तरह के मोहक रूपों में भोग के लिए प्रेरित करती है।
यह साधना ग्रहण के समय मे ही सिद्ध की जाती है। ग्रहण के समय मे डाकिनी देवी साधक को बंद आँखो में दर्शन देकर वचन करके वरदान या आशीर्वाद प्रदान करती है। यह साधना एकांत कमरे में सिध्द की जाती है। यह साधना मात्र 1 घण्टे की होती है,जब भी ग्रहण हो 1 घण्टे से ज्यादा तो साधना पूर्ण सिद्ध होती है।यह साधना पूर्ण प्रमाणिक और सिद्ध है। ग्रहण से एक घण्टे पहले साधक स्नान करके बंद कमरे मोगरा ,चमेली का सेंट दीवारों ,फर्श,छत पर छिड़क दें।सफेद कपड़े को धारण करे।सफेद आसन बिछाये। सामने बाजोट पर सफेद वस्त्र बिछाये।देशी घी का अखण्ड दिया त्रिभुजाकार अर्थात त्रिकोण में जलाये। सरसो की ढेरी बनाए।फल फूल मिठाई रखे।सुगन्धित अगरबत्ती जलाये।इतर रखे।माथे पर काला रंग का तिलक लगाएं। डाकिनी मन्त्र को 1 माला जपे। डाकिनी दिए कि लौ से प्रकट होकर सामग्री साधक से मांगेगी।साधक डरे नही और शांत मन से सभी सामग्री डाकिनी को अर्पण करें। अंत मे डाकिनी साधक से खाने के लिये भोग मांगेगी तब साधक को ”डाकिनी भोग” जो गुरु निर्देश में तैयार किया जाता है ,डाकिनी को दिया जाता है तब डाकिनी प्रसन्न होकर साधक को वरदान देती है।साधक के सभी कार्य करती है। डाकिनी सिद्ध होने पर व्यक्ति की भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही आवश्यकताएं पूर्ण कर सकती है
मन्त्र – “नमो चन्डी सुखार धरती चढ़ाया कुण कुण वीर हनुमन्त वीर चडीया गोंडा चढि जांघ चढि कटी चढ़ी पेट चढ़ी पासलि चढि हिया चढि छाती चढि मुख चढि जिह्वया चढि कान चढि आंख चढि ललाट चढि शीश चढि कपाल चढि चोटी चढि। नरसिंह हनुमन्त चले।वीर संदवीर आज्ञावीर चले सो संता वीर चढ़े।”
मन्त्र जाप में दिशा उत्तर रहेगी । मन्त्र जाप शुरू करते ही अनेक भयानक भूत प्रेत की आकृतियाँ साधक को बन्द आँखो से दिखाई देती है और अंत मे डाकिनी सिद्ध होती है।
To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us :
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
समस्या के समाधान के लिए संपर्क करे: मो. 9438741641 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *