त्रिपुर सुंदरी की उपासना लक्ष्मी रूप में होती है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश की शक्तियां उनमें समाहित हैं। भगवती त्रिपुरसुंदरी दस महाविद्याओं में दसवें स्थान पर हैं। इन्हें षोडशी,ललिता और राजराजेश्वरी नाम से भी वर्णित किया गया है। षोडशी इसलिए कही जाती हैं क्योंकि ये 16 साल की युवती का प्रतिनिधित्व करती हैं।
शाक्त तांत्रिकों के मध्य ये सबसे प्राचीन पूजित देवी हैं। इन्हें तीनों लोकों में सबसे सुंदर और आकर्षक माना गया है। इसका एक अर्थ यह भी है कि ये स्थूल,सूक्ष्म और परालोक की अद्भुत प्रभाव वाली देवी हैं जो हर तरह की सुख-संपदा देने में सक्षम हैं।
त्रिपुर सुंदरी मंत्र : ” ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम: ”
व्यक्तित्व विकास, स्वस्थ्य और सुन्दर काया के लिए त्रिपुर सुंदरी देवी की साधना करें। रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। दस माला मंत्र २१ दिन तक लगातार जप अवश्य करें। चमत्कार आपके सामने होगा।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या