यह मूलतः जल्दी फल देने वाली साधना से एक है। इसके साधक को माता भविष्य में होने वाली घटनाओं की जानकारी स्वप्न में दे देती हैं।निष्कम भाव से साधना करने वालों पर माता अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं लेकिन चूंकि फल आसानी से मिल जाता है, अतः साधक का निष्काम रह पाना बेहद कठिन होता है।
फल आधारित साधना होने के कारण इसका असर भी जल्दी खत्म होने लगता है। अतः साधक को प्रयोग की अधिकता/कमी के आधार पर हर तीन या छह माह पर इसका पुनः जप कर लेना चाहिए। इनके कई मंत्र हैं लेकिन यहां अनुभव किए हुए सिर्फ दो मंत्रों का ही उल्लेख कर रहा हूं।
कर्ण मातंगी साधना मंत्र :
“ऐं नमः श्री मातंगि अमोघे सत्यवादिनि ममकर्णे अवतर अवतर सत्यं कथय एह्येहि श्री मातंग्यै नमः।”
*ऊं नमः कर्ण मातंगी अमोघ सत्यवादिनी मम कर्णे अवतर अवतर अतीत अनागत वर्तमानानि दर्शय दर्शय भविष्यं कथय कथय ह्रीं कर्ण मातंगी स्वाहा।*
ऐं बीज से षडंगन्यास करें। पुरश्चरण के लिए आठ हजार की संख्या में जप करें। कई बार प्रतिकूल ग्रह स्थिति रहने पर जप संख्या थोड़ी बढ़ानी भी पड़ती है।41 दिन मे साधना पूर्ण होती है । दोनों मे से किसी एक मंत्र का जाप कर सकते है । लाल चन्दन की या मूँगे या रुद्राक्ष की माला मंत्र जाप के लिए श्रेष्ठ है ।
जप के दौरान शारीरिक पवित्रता की जरूरत नहीं है लेकिन मानसिक रूप से पवित्र होना आवश्यक है। इसमें हवन भी आवश्यक नहीं है। हालांकि उच्छिष्ट वस्तु (खीर के प्रसाद से) या मांस-मछली को प्रसाद के रूप में माता को ही चढ़ाकर उससे हवन करना अतिरिक्त ताकत देता है।
इसके साधक को माता कर्ण मातंगी भविष्य में घटने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं की जानकारी स्वप्न में देती हैं। इच्छुक साधक को माता से प्रश्न का जवाब भी मिल जाता है। भक्तिपूर्वक एवं निष्काम साधना करने पर माता साधक का पथप्रदर्शन करती हैं।
किसी भी साधना को करने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है गुरु के सानिध्य मे की हुई साधना जल्द और लाभकारी होती है । गुरु मंत्र की एक माला का जाप साधना के आरंभ मे करें । साधना काल मे नशे और नारी संग सर्वथा वर्जित है।
{{यह साधना काल ज्ञान प्राप्ति हेतु काफी उत्तम माना जाता है और कर्ण पिशाचीनी साधना का सात्विक विकल्प है आप सभी इस साधना को करें और इसका शुभ लाभ प्राप्त करें।}}
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या