सत्रु विनासक धूमावती प्रयोग :
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पिशाच सिद्ध साधना :
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भूत-भविष्य काल श्रवण साधना :
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अब तो खुश हो ना ? यही तो साधना चाहिये थी,इस साधना मे कर्णपिशाचिनी भूतकाल ही नहीं बताती अपितु भविष्य काल भी बताती है अब इस्से अच्छी साधना कोन सी हो सकती है और मुख्य बात तो ये है “इस साधना को घर मे किया जा सकता है,यह सौम्यरूपी साधना है”॰इस साधना के दो चरण है .
1-जिससे हमे भूतकाल का पता चलता है साथ मे वर्तमानकाल भी॰
2-भविष्यकाल भी देवी कान मे बता देती है॰
साधना सामग्री- काली हकीक माला,शमशान की राख़,काला आसान एवं वस्त्र,एक अनार,लाल रंग के पुष्प॰
साधना विधि-
साधना मे सिर्फ देवी कर्ण मे वर्तमानकाल और भूतकाल बताती है॰
विनियोग-
अस्य श्रीकर्णपिशाचिनी पिप्लाद ऋषी: निचृछन्द: कर्णपिशाचिनीदेवता अभीष्टसिध्यर्थे मंत्र जपे विनियोग:॥
षडग्डन्यास-
ॐ हृदयाय नम:
ॐ शिरसे स्वाहा
ॐ कर्णपिशाचिनी शिखायै वषट
ॐ कर्ण मे कवचाय हूं
ॐ कथय नेत्रत्रयाय वौषट
ॐ स्वाहा अस्त्राय फट
मंत्र- ॥ ॐ ह्रीं कर्णपिशाचिनी कर्ण मे कथय स्वाहा ॥
इस साधना मे 100% सिद्धि मिलती है सिर्फ आवश्यकता है तो मन के एकाग्रता का,साधना की पूर्ण विधि आपको फोन पे बता दुगा,क्यूकी आप तो जानते ही हो कुछ साधक चुप-चुपके साधना करते है और फिर उन्हे कुछ अनुभूतिया ना हो तो मेरे ही सर पे असफलता का घड़ा फोड़ देते है,येसे साधको के वजेसे मै बदनाम नहीं होना चाहता हु.

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार

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जय माँ कामाख्या

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