यह भी भूत की तरह ही एक योनि होती है,पर अत्यंत बलिष्ठ,अत्यंत मजबूत और द्र्ढ निच्छय युक्त , अगर साधक इसे सिद्ध करले और इसे आज्ञा दे दे तो सामने चाहे पचास शत्रु , बंदूक या पिस्तोल लाठी या भाले लिय हुए खड़े हो तो उसे पाच मिनट मे ही भगा देता है , इसका क्षमता बहोत भयंकर होता है ।यह साधक को 24 घंटे अदृश्य रूप मे मित्र के तरहा रहेता है और बुलाने पर हर आज्ञा का पालन करता ही है ।
कृष्ण पक्ष के शुक्रवार को साधक दक्षिण को मुख करके गुरु जी से आज्ञा लेकर नग्न अवस्था मे साधना मे बैठे,आसन काले रंग का हो और सामने स्टील या तांबे के प्लेट मे सिंदूर मे चमेली का तेल मिलाकर पुरुष आकृति बनाये,पुरुष आकृति मे हृदय का पूजन करे.इस साधना मे रुद्राक्ष या काले हकीक का माला आवश्यक है,गुरुमंत्र के जाप होने के बाद साधक पिशाच मंत्र का 21 माला जाप करे,येसा 3 शुक्रवार तक रात्रि मे 10 बजे के बाद साधना करने से पिशाच साधक के सामने प्रत्यक्ष होता है और वचन मांगता है,पिशाच सिद्धि सिर्फ 3-4 शुक्रवार करने से पिशाच सिद्ध होकर हमारा मनचाहा कार्य सम्पन्न करता है.
मंत्र : –॥ ऐं क्रीं क्रीं ख्रिं ख्रिं खिचि खिचि पिशाच ख्रिं ख्रिं फट ॥
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या