माँ जगदम्बे को मंगल कारिणी कहा गया है,क्युकी जिस पर भगवती कि कृपा हो जाती है,उसके जीवन में सर्वत्र मंगल ही होता है.इसलिए माँ को सर्व मंगला के नाम से भी जाना जाता है.वास्तव में सर्व मंगला माता पार्वती का ही दूसरा नाम है.माँ को कई जगह पर मंगला गौरी के रूप में भी पूजा जाता है. आज भी कई प्रांतो में सुहागन स्त्रियां मंगला गौरी का व्रत रखती है,और अखंड सौभाग्य कि कामना करती है.वही दूसरी तरफ गृहस्थी में पूर्ण सुख कि प्राप्ति हेतु माता पार्वती का सर्व मंगला स्वरुप साधको के मध्य प्रचलित है.
सर्व मंगला साधना कब करनी चाहिए तथा इसके क्या लाभ है ?
जब गृहस्थी में अकारण तनाव बना हुआ हो.
घर को नाना प्रकार के रोगो ने घेर लिया हो.
हर कार्य पूरा होते होते रुक जाता हो.
लाख परिश्रम के बाद भी प्रगति न हो पा रही हो.
तब करे ये दिव्य साधना।साथ ही साधना के कई लाभ है जो पूर्ण निष्ठा से करके ही प्राप्त किये जा सकते है.मित्रो आदि शक्ति जिस पर प्रसन्न होती है,उसके लिए कुछ भी कर सकती है.परन्तु इसके लिए हमें अपने अंदर पूर्ण निष्ठा तथा समर्पण को स्थान देना होगा।साथ ही धैर्य कि अत्यंत आवश्यकता है. एक या दो दिन में हम उच्च कोटि के साधक नहीं बन सकते है,ये एक लम्बी तथा अत्यंत परिश्रम पूर्ण यात्रा है.जिसे बड़ी सजकता से पूर्ण करना होता है.
इस साधना को आप किसी भी पूर्णिमा से आरम्भ कर सकते है.समय संध्या काल में ६ से ९ के मध्य का होगा।आपके आसन वस्त्र लाल अथवा श्वेत हो.स्नान कर पूर्व या उत्तर कि और मुख कर बैठ जाये।अपने सामने बाजोट रखे तथा उस पर उसी रंग का वस्त्र बिछाये जिस रंग के वस्त्र आपने धारण किये हो.अब बाजोट पर एक हल्दी मिश्रित अक्षत कि ढेरी बनाये।उस पर सुपारी स्थापित करे,ये सुपारी माता पार्वती का प्रतिक होगी।अब इस ढेरी आस पास एक एक ढेरी और बनाये,ये ढेरी आपको कुमकुम मिश्रित अक्षत से बनानी है.और इन दोनों पर भी एक एक सुपारी स्थापित करे.ये दोनों सुपारी माँ कि सहचरी जया तथा विजया का प्रतिक है.इसके बाद एक ढेरी काले तील कि बनाये माता पार्वती के ठीक पीछे,उस पर एक सुपारी स्थापित करे.ये सुपारी माता पार्वती के ही दूसरे स्वरुप भगवती महेश्वरी का प्रतिक है जो कि भगवान महेश्वर अर्थात शिव के ह्रदय से प्रगट होती है.माता सर्व मंगला के पीछे मूल रूप से यही महेश्वरी शक्ति कार्य करती है.तथा साधक के मनोरथ पूर्ण करती है.
अब आप सर्व प्रथम सद्गुरु तथा गणेश पूजन संपन्न करे.इसके बाद निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए माता पार्वती के दाहिनी और रखी हुई सुपारी अर्थात जया शक्ति पर,कुमकुम,हल्दी तथा अक्षत अर्पण करे ..
” ॐ ह्रीं ऐं जया दैव्यै नमः”
इसके बाद माँ के बायीं और रखी सुपारी पर कुमकुम,हल्दी तथा अक्षत अर्पण करे निम्न मंत्र बोलते हुए.
“ॐ क्लीं श्रीं क्लीं ऐं विजया शक्त्यै नमः”
इसके बाद माता महेश्वरी का तथा माता पार्वती का सामान्य पूजन करे.कुमकुम,अक्षत,हल्दी,सिंदूर,पुष्प आदि अर्पण करे.शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करे.तथा भोग में केसर मिश्रित खीर का भोग अर्पित करे.
माँ पार्वती तथा महेश्वरी का पूजन करते समय तथा सामग्री अर्पित करते समय सतत निम्न मंत्र का जाप करते रहे…
इसके बाद हाथ में जल लेकर संकल्प ले कि किस मनोकामना कि पूर्ति हेतु आप ये साधना कर रहे है.तत्पश्चात निम्न मंत्र कि रुद्राक्ष माला से एक माला जाप करे …
” ॐ ह्रीं महेश्वरी ह्रीं ॐ नमः”
इसके बाद सर्व मंगला मंत्र कि ११ माला जाप करे,सर्व मंगला मंत्र इस प्रकार है.
” ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं ऐं सर्वमंगला मंगल कारिणी शिवप्रिया पार्वती मंगला दैव्यै नमः”
इसके बाद पुनः एक माला महेश्वरी मंत्र कि संपन्न करे.
मंत्र जपके पश्चात् समस्त जप माँ पार्वती के श्री चरणो में समर्पित कर दे.तथा प्रसाद पुरे परिवार में वितरित कर स्वयं भी ग्रहण करे.इसी प्रकार ये साधना आपको ७ दिवस तक करना है.अंतिम दिन घी में अनार के दाने तथा जायफल का चूर्ण मिलाकर १०८ आहुति अग्नि में प्रदान करे.इस प्रकार ७ दिवस में ये दिव्य साधना पूर्ण होती है.अगले दिन अक्षत,सुपारी,वस्त्र,आदि सभी जल में विसर्जित कर दे.सम्भव हो तो किसी कन्या को भोजन ग्रहण करवाये।और दक्षिणा दे आशीर्वाद ले.ये सम्भव न हो तो कन्या को मिठाई तथा दक्षिणा देकर आशीर्वाद ले.
निसंदेह पूर्ण मन तथा एकग्रता से साधना करने पर माँ सर्व मंगला साधक के समस्त कष्टो का निवारण कर सुख तथा अपना आशीष प्रदान करती है.
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या