कुश्ती जीतना तथा अखाड़ा बाँधने :
1) मन्त्रः- “ॐ महाबीर रणधीर बाँके पहलवान, आकाश बाँध, पाताल बाँध, अखाड़े के चारों कोने बाँध, दुश्मन का सीना बाँध, हाथ बाँध, पांव बाँध, निगाह बाँध, इतने बाँध के जेर न करे, तो माता अञ्जनी का दूध हराम करे, राजा रामचन्द्र जी की दुहाई ।।”
विधि – श्री हनुमान जी के सामने अगर-बत्ती जलाकर बैठकर २१ दिन तक २१ दिन नित्य १०८ जप करे । कुश्ती के पहले अखाड़े की मिट्टी एक मुट्ठी में लेकर उस पर ५ बार मन्त्न पढ़कर सामने वाले पहलवान को मारे । अखाड़ा बँध जाएगा और सामनेवाला परास्त होगा ।
मंत्र : “ॐ नमो आदेश गुरु कामरू कामाक्षा देवी को , अंग पहनूँ भुजंग पहनूं ,पहनूं लोह शारीर। आंनते के हाथ तोडू , चलते के पाँव तोडू ,सहाय हो हनुमान वीर। उठ अब नरसिंह वीर। तेरो सोलह सो श्रृंगार। मेरी पीठ लागे न वार। हो मेरी हार तो हनुमंत वीर लज्जाने। तूं लेहु पूजा पान सुपारी नारियल सिंदूर। अपनी बेह। सकल मोहि कर देहु। मेरी भक्ति गुरु कि शक्ति। फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।।”
विधि: हनुमान जी कि पूजा देकर तेल का दीपक जलाएं और सम्मुख लंगोट रखकर इस मंत्र का पाठ करें। आवश्यकता के समय सरसों के तेल को १०८ बार इस मंत्र से अभिमंत्रित कर मालिश करें और यही लंगोट पहनकर अखाड़े में उतारे तो सभी का स्तम्भन होकर विजयश्री मिलेगी ।
मन्त्रः-“उल्टा घोड़ा, उल्टा पीर । उल्टा चले मुहमदा पीर । मैं कहूं अखाड़े को खोल, न खोले तो बीबी फातिमा की आन, सुअर की चर्सा पर नमाज पढ़ै ।।”
विधि –लोबान की धूनी देकर ७ दिनों तक नित्य १०८ बार जप करे । आवश्यकता होने पर इसे पढ़ते हुए अखाड़े के बीच में खडे होकर चारों तरफ घूम जाने पर अखाड़ा खुल जाएगा ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या