किसी भी कार्य को सिद्ध करने के लिए मनुष्य का दिल से उस काम पर ध्यान लगाना जरुरी होता है | लेकिन ज्यादातर मामलो में लोगो का अंधाधुंध अनुसरण करने पर बाद में विभिन्न प्रकार की परेशानियों प्रयोग नहीं करता ,उसे भी अलौकिक अनुभवो का सामना हो सकता है | इस संद्धर्भ में हम यहाँ कुछ मंत्रों का विवरण दे रहे है –
सांप ,आसमानी बिजली ,बाघ तथा चोर से सुरक्षा मंत्र :
रक्ष रक्ष श्री परमेश्वरी कालिका की वाचा
प्रयोग विधि : इस मंत्र को तीन बार पढ़कर तीन बार ताली बजाने से सांप ,आसमानी बिजली ,बाघ तथा चोर से सुरक्षा होती है |
तांत्रिको के लिए हनुमान जी का मंत्र :
“ॐ नमः वज्र का कोठा जिसमे पिण्ड हमारा पेठा ,ईश्वर कुंजी बर्ह्म का ताला ,मेरे आठो याम का यति हनुमंत रखवाला |”
विधि : तीन बार पढने से पूर्ण सुरक्षा होती है |
श्री राम जी का सुरक्षा मंत्र :
“रामकुंडली ब्रह्मचाक तेतीस कोटि देवा देवा अमुक की बेड़ियाँ
अमुकेर अंकेर बाण काटम शर काटम संधाम काटम कुज्ञान काटम
कारवने काटे राजा रामचंद्रेर आज्ञा
एई झंडी अमुकेर अंगे शीघ्र लागूगे”
विधि : इस मंत्र का उच्चारण करके चारो और रेखा खींचने से रक्षा होती है |
बुले एलाम मशाल भूम होते भैरव
विग्ली घुंडिकार आज्ञे राजा चूडंगर आज्ञे विग्ली घुंडि!!”
विधि : सात बार पढ़कर अपने चारो और रेखा खींच ले।
“ॐ नमो धरती माता ,धरती पिता
हमारी पीठ पीछे हनुमान जति खड्या
शब्द साच्चा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।”
प्रयोग : तीन बार मंत्र पढ़कर अपनी देह को सर से पांव तक स्पर्श कर ले |
सुरक्षा का माँ कालिका मंत्र :
“ॐ कलिका खडग खप्पड़ लिए ठाढ़ी
पीती भर भर रक्त पियाली कर भक्तो की रखवाली
न कर रक्षा तो महाबली भैरव की दुहाई!!”
प्रयोग : इसके तीन बार उच्चारण करने के पश्चात छाती में फूंक मारने से सभी तरह से रक्षा होती है |
“ॐ नमो आदेश गुरु को ,वज्र वज्री वज्र किवाड़ वज्री से बांध दशोद्वार ,जो घाट घाले उलट वेद वही को खात .पहली चौंकि गणपति की दूजी चौंकि हनुमत की तीजी चौंकि भैरव की चौथी चौंकि राम रक्षा करने को श्री नरसिंह देव जी आये शब्द साँचा पिंड कांच फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा सतनाम गुरु जी को आदेश!!”
प्रयोग : तीन बार पढ़कर देह पर फूंक मारने से रक्षा होती है |
सिद्धेश्वरी रक्षा मंत्र :
“ॐ अईकलि पुरु सिद्धेश्वरी अवतर अवतर स्वाहा
विरुड़ हारि भेरुंड विद्याराणी
रोल बंध ,मुष्टि बंध ,बाण बंध
कृत्य बंध, रूद्र बंध,नख बंध
ग्रह बंध ,प्रेत बंध,भूत बंध
यक्ष बंध ,कंकाल बंध ,बेताल बंध ,आकाश बंध
पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण सर्व दिशा बंध
दशाविप्रराणी दशांगुली शतास्त्र बंदिनी
प्रयोग : ये मंत्र पढ़ते पढ़ते लक्ष्मण रखस की तरह अपने चारों और रेखा खीच ले ,सर्व प्रकार से सुरक्षा होगी
“सिल्ली सिद्धिर वजुर के ताला,
धर दे वीर,पटक दे वीर,पछाड़ दे वीर,
अरे-अरे विभीषण बल देखो तेरा,
शरीर बाँध दे मेरा, मेरी भक्ति,गुरु की शक्ति,
फुरो मंत्र ,इश्वरो वाचा!”
इस मंत्र की साधना आप कभी भी शुरू कर सकते है ! वैसे मंगलवार या शनिवार अच्छा रहता है! इस मंत्र को आपको रोज़ एक माला पुर्व की तरफ मुख करके रुद्राक्ष की माला से किसी भी आसन का उपयोग कर जपना है। और यह साधना मात्र २१ दिनों की हैं!मंत्र जप के वक्त दो अगरबत्ती,कुछ पुष्प और कोई सी भी मिठाई पास रखें! इससे यह मंत्र सिद्ध हो जायेगा!जब भी किसी साधना को शुरू करना हो तो सिर्फ ११ बार यह मंत्र जपें,जिससे आपकी हर विघ्न बाधायों से रक्षा होगी!
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या