(अ) “उत्तर बांधों, दक्खिन बांधों, बांधों मरी मसान, डायन भूत के गुण बांधों, बांधों कुल परिवार, नाटक बांधों, चाटक बांधों, बांधों भुइयां वैताल, नजर गुजर देह बांधों, राम दुहाई फेरों।”
(ब) “जल बांधों, थल बांधों, बांधों अपनी काया, सात सौ योगिनी बांधों, बांधों जगत की माया, दुहाई कामरू कमक्षा नैना योगिनी की, दुहाई गौरा पार्वती की, दुहाई वीर मसान की।”
प्रयोग विधि : उक्त दोनों में से किसी एक मंत्र को पर्व, संक्रांति, ग्रहण समेत किसी भी सिद्धकाल में कम से कम 2100 (11000 हो सके तो उत्तम) जपने पर प्रयोग के लिए तैयार हो जाता है। शरीर रक्षा की आवश्यकता पड़े तो सिद्ध मंत्र का नौ बार उच्चारण कर हथेली पर नौ बार फूंक मारें और हथेली को पूरे शरीर पर फिरा दें। इससे शरीर सुरक्षित हो जाएगा।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या