प्रसिद्ध हाजरात नखदर्पण मन्त्र साधना:
यह साधना बहुत जटिल है; परन्तु कोई स्वस्थ, स्वतन्त्र एवं साधन सम्पन्न व्यक्ति इसे धीरज, संयम, आस्था एवं दृढ़ निश्चय के साथ सरलता से सिद्ध कर सकता है। पुराने समय के फकीर लोग इस मन्त्र को बड़ी सरलता से सिद्ध कर लेते थे। किन्तु आज आधुनिक युग का जटिल एवं आस्थाविहीन वातावरण दूषित सा हो गया है। फिर भी यदि विधि विधान से इसकी साधना की जाय तो चमत्कार देखे जा सकते हैं।
हाजरात का बंगाली मन्त्र :
बंगाली पद्धति के हाजरात मन्त्र में कालीजी या हनुमानजी का आवाहन किया जाता है। यह बंगला तन्त्र विधान का एक चमत्कारपूर्ण प्रयोग है। बालक के अंगूठे के नाखून पर काजल लगाया जाता है एवं तत्पश्चात साधक बालक से प्रश्न करता है। बालक उस प्रश्न के उत्तर से सम्बन्धित दृश्य नाखून में देखकर सबकुछ बताता रहता है।वस्तुतः ‘नखदर्पण’ इसी को कहते हैं।
बंगला हाजरात मन्त्र :- ‘काली माता काली माता ओतो ते।’
मन्त्र सिद्ध करने के लिए प्रातः स्नान आदि क्रिया से निवृत होकर शुद्ध एकान्त स्थान पर बैठकर उक्त दिए गए मन्त्र को इक्कीस दिन तक लगातार, 3 माला प्रतिदिन के हिसाब से जप करें। यह बात ध्यान रहे की जप के समय अगरबत्ती निरन्तर जलती रहनी चाहिए। साधक का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। 21 दिनों के साधना काल पूरे संयम, पवित्रता एवं आस्था के साथ रहना चाहिए। जप के समय सामने कालीजी का चित्र हो एवं प्रतिदिन उसकी पूजा अर्चना करें व ध्यान बराबर काली माता के चरणों में केंद्रित रखें। जप पूरा हो जाने पर कपूर जलाकर उसकी काजल बनायें तत्पश्चात इस काजल को डिब्बी में भरकर कालीजी को स्पर्श करायें और प्रार्थना करते हुए अपने पास रख लें। जप समाप्त होने के उपरान्त दशमांश हवन करना चाहिए एवं इसके बाद ब्राह्मणों व कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना इस विधि का एक आवश्यक भाग है।
मन्त्र सिद्द हो जाने के उपरान्त जब कभी इसका प्रभाव देखने का विचार हो तो, शुक्रवार के दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर पवित्र व एकान्त स्थल पर बैठकर कालीजी की पूजा करें। तत्पश्चात संध्या लगभग सात बजे के समय किसी बालक को (बालक व बालक के माता व पिता की र्निविरोध व पूर्ण अनुमति एवं सहयोग के उपरांत) स्नान कराकर स्वच्छ वस्त्र धारण करा व उस पर चमेली का इत्र छिड़क कर उसी एकान्त स्थान पर, जहाँ साधना की थी ले जायें इससे पूर्व उस स्थान को गीले कपडे से पोंछकर साफ़ कर लें व धूप लोबान से शुद्ध कर लें। बालक अबोध, सच्चा सीधा, ईमानदार व शुद्ध होना चाहिए। ध्यान रहे कि बालक की प्रकृति सात्विक हो, वह बहुत चलतापुर्जा एवं काइयां किस्म का न हो, क्यूंकि इस प्रयोग में ऐसी प्रवृत्ति का बालक सफल नहीं हो पाता।
अब साधक उस बालक को अपने पास बैठाकर, सिद्ध किये हुए मन्त्र का उच्चारण करते हुए, बालक के अंगूठे के नाखून पर काजल तिल्ली के तेल में मिलाकर इस प्रकार लगाएं कि पूरा नाखून बिल्कुल काला हो जाए। जिस स्थान पर यह प्रयोग करें उस स्थान पर अंधेरा रहना चाहिए। साधक उस बालक को काजल वाले नाखून में ध्यान से देखने के लिए कहे, अर्थात् लड़के को भली भाँति समझा दिया जाय कि और कुछ न सोचकर, वह ध्यान पूर्वक बिना नज़र हटाये, अपने अंगूठे को एक टक देखता रहे, व जब कुछ दिखाई पड़े तब बता दे; लेकिन निगाह अंगूठे पर ही लगातार जमी रहे।’
साधक बालक के निकट बैठकर, मौन मन्त्र जपता रहे। कुछ समय बाद बालक को नाखून पर कुछ हलकी आकृति दिखायी देगी। धीरे धीरे वह स्पष्ट होकर किसी मनुष्य का चेहरा हो जायेगा। जब बालक बताये कि मैं आदमी देख रहा हूँ, तब समझ लेना चाहिए कि मन्त्र सफलतापूर्वक सिद्ध है।
साधक बालक के माध्यम से कालीजी या हनुमानजी से चाहे जैसा प्रश्न पूछ सकता है-नौकरी, चोरी गयी वस्तु, गड़ा धन, यात्रा, सुरक्षा, भाग्योदय, खोये हुए व्यक्ति का पता, खोये हुए जानवर की खबर, अपने काम खेती, नौकरी, व्यापार आदि का भविष्य, यह सब कुछ कालीजी या हनुमानजी बता देते हैं।
जब प्रश्न पूछे जा चुकें, साधक की इच्छा पूरी हो जाय, तब लड़के के माध्यम से कालीजी या हनुमानजी को नमस्कार व धन्यवाद करते हुए उनसे प्रस्थान का निवेदन करें। कालीजी या हनुमानजी के चले जाने पर दरबार सूना हो जायेगा। सारा दृश्य अदृश्य हो जायगा। लड़के को काली स्याही के अलावा फिर कुछ नहीं दिखाई देगा। उस हालत में लड़के की स्याही धो डालनी चाहिए।
ध्यान रहे इस पूरी क्रिया में धूप व अगरबत्ती सुलगती रहे, आस पास का वातावरण शान्त व पवित्र हो, तथा वहाँ दुष्ट प्रकृति वाले अविश्वासी, पापी और दुराचारी पाखण्डी प्रवृत्ति के व्यक्ति न रहें। एक बार मन्त्र सिद्ध हो जाने पर, फिर जब भी इच्छा हो, किसी सुयोग्य बालक ( बालक के माता पिता की र्निविरोध व पूर्ण अनुमति एवं सहयोग के उपरांत) पर इसका प्रयोग किया जा सकता है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या