ये अप्सरायें इतनी आकर्षक होती है कि किसी को भी अपनी सुंदरता के वश में करने की क्षमता रखती है. माना जाता है कि अप्सरायें स्वर्ग में निवास करती है और इनकी कुल संख्या 108 है. ये इंद्र देव की सभा दरबार में नृत्य करती है और उनके आदेशों का पालन करती है. इंद्र देव को जब भी अपने सिंहासन पर कोई ख़तरा नजर आता है तो वो इन्ही अप्सराओं की मदद से राक्षसों, ऋषि मुनियों इत्यादि की तपस्या भंग करने की कोशिश करते है. उनकी आज्ञा का पालन करने के लिये ये अप्सरायें अपना पूरा प्रयास करती है और अधिकतर सफल ही होती है. इसका उन्हें दुष्परिणाम जैसे शाप इत्यादि भी झेलना पड़ता है किन्तु फिर भी ये अपने स्वामी की आज्ञा का उलंघन नहीं करती और यही इनको ख़ास बनाता है.
एक तरह से देखा जाएँ तो अप्सरायें प्रेम का प्रतिक होती है. इनका रूप, इनकी दिव्यता, इनका बोलने चलने का तरीका, इनकी सत्यनिष्ठा इत्यादि सभी इनके प्रेम को ही दर्शाता है. जब भी व्यक्ति अपनी उलझनों में परेशान रहता है या घर के क्लेशों में फंसा रहता है तो वो कहीं ना कहीं दिव्यता को खोजता रहता है. उनकी यही खोज ये अप्सरायें पूरा करती है और जब व्यक्ति इन साधनाओं को करके किसी अप्सरा को सत्य व शुद्ध भावना से प्राप्त करता है तो वो अप्सरा उनके जीवन के सारे दुखों को दूर कर देती है. ऐसी ही एक साधना है जिसे शशि दिव्य साधना के नाम से जाना जाता है. तो आइये जानते है कि शशि दिव्य साधना को किस प्रकार किया जाता है और इसके क्या नियम है.
दिन : इस साधना के आरम्भ के लिए शुक्रवार को सबसे उचित समय माना जाता है.
प्राम्भ समय : रात 10 बजे, इसे रोजाना रात के 10 बजे ही आरम्भ करें.
अवधि : ये साधना लगातार 8 दिनों तक करनी है.
सामग्री : शशि दिव्या यन्त्र ,हकिक माला ,गुलाब के फुल ,पात्र जैसेकि प्लेट इत्यादि,इत्र ,धुप, आसन
इस साधना को आरंभ करने से पहले जरूरी है कि आप खुद को पूर्ण तरह से शुद्ध कर लें और स्नान करके अच्छे कपडे पहने. उसके बाद आप उस कमरे में जाएँ जहाँ आप साधना करने वालें है. आप कमरे में धुप लगाकर कमरे को खुशबूदार करें. अगर आप इत्र इस्तेमाल करते है तो आप अपने वस्त्रों पर कोई आकर्षक महक वाला इत्र भी छिडकें. उसके बाद ही आप आसन को ग्रहण करेंऔर हकिक माला को हाथ में पकड़ लें. साथ ही ध्यान रहे कि आपका मुख उत्तर दिशा की तरफ हो. अब आप 51 बार हकिक की माला का जाप निम्न मंत्र को बोलते हुए करें. ध्यान रहें कि आपको रोजाना इतनी बार ही इस मंत्र को जपना है और पूजा के समय रोजाना आपके पास गुलाब की दो मालायें होना भी बहुत आवश्यक है.
मंत्र : “ॐ ह्लीँ आगच्छा गच्छ शशि दिव्य अप्सरायैँ नमः॥”
जिस दिन आपकी साधना पूर्ण हो जायेगी तो उस दिन शशि अप्सरा आपके सामने प्रकट होगी तब आपको गुलाब की एक माला उन्हें पहनानी है. दूसरी माला को वो अप्सरा आपको पहनायेगी. आप अपनी भावनाओं पर काबू रखें और उनको पूर्ण आदर दें. इसके बाद आप उनके सामने अपनी इच्छा जाहिर करें और आशीर्वाद या वरदान के रूप में मांग लें.
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या