बगलामुखी वशीकरण सिद्धि प्रयोग :
माँ बगलामुखी को आठवीं महाविद्या के रूप में जाना जाता है ,मतो के अनुसार इनका जन्म हल्दी के रंग जैसे जल से हुआ था इनका एक नाम पीताम्बरा भी है इनका रूप स्वर्ण की तरह तेज वाला है माँ बगलामुखी के कई रूप है पर सिद्धि के लिए इनकी आराधना की जाती है यह आराधना मुख्यता रात्रि में ही होती है इसकी उपासना से शत्रु एवं समस्त बुरी शक्तियां सदा के लिए समाप्त हो जाती है इनको पीले रंग की वस्तुये अधिक प्रिय है |
माँ बगलामुखी की साधना मंत्रो द्वारा की जाती है यह अत्यंत कठिन एवं नियमो से घिरी है इसमें सही मंत्रो का जप करना चाहिए पूजा भी नियम से करनी चाहिये तभी आप की साधना पूर्ण होगी एवं यह पूजा करते समय माँ के कवक का पाठ करना आवश्यक है यह पूजा हर समस्या का हल एवं विजय दिलाती है माँ बगलामुखी की प्रातः काल उठ कर शुद्ध होकर पीले वस्त्र धारण करके किसी सिद्ध स्थान पर पूर्व की ओर बैठकर यह साधना एकांत में करनी चाहिए । एक चौकी यह कोई पाटा पर एक पिला वस्त्र बिछा ले, उस पर माँ की प्रतिमा स्थापित करे और विधि पूर्वक पूजा करे पीले चावल हल्दी पीले फूल लेकर माँ की पूजा करे शुद्ध देशी घी का दीप जलाना चाहिए इसके लिए किसी चाँदी यह किसी पात्र में चने की दाल बनानी चाहिये। पूजा के बाद हवन करना चाहिये। इस मंत्र का एक लाख बार जप करना चाहिए ।
“ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानः वाचं मुखः पदं स्तंभयः जिह्ववां कीलयः बुद्धि विनाशयः ह्रीं ओम् स्वाहः।”
१- माँ की साधना करने से पहले पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये यह एक मुख्य नियम है
२- इस साधना को करते समय किसी स्त्री को स्पर्श नहीं करना चाहिए यह किसी भी प्रकार की चर्चा नहीं करनी चाहिये अगर आप ऐसा करते है तो आप की साधना खण्डित हो जायेगी
३- यदि आप डरते है तो आप को यह साधना नहीं करनी चाहिए और कभी साधना किसी बच्चे के साथ न करे , क्योंकि माँ साधना के समय साधक की परीक्षा लेती है उसको डराती है , साधक को अजीब अजीब आवाजे दृश्य आदि का भ्रम होता है ।
४- यह साधना बिना गुरु के नहीं हो सकती अतः उनका परामर्श आवश्य ले और साधना आरम्भ करने से पहले गुरु का ध्यान करना चाहिये ।
५ – माँ की साधना शुक्ल पक्ष में ही करनी चाहिए तथा नवरात्री को भी उत्तम माना गया है ।
६-साधना की सुरुवात उत्तर दिशा की ओर देखते हुए करनी चाहिए ।
७- कभी यह होता है कि साधना करते समय आप की आवाज तेज हो जाती है तो डरे मत ।
८- अगर आप माँ की साधना कर रहे है तो जब तक साधना पूर्ण नहीं होती इसका ज़िक्र किसी से भी न करे ।
९- माँ की साधना के समय पिला वस्त्र ही धारण करे । यह मंत्र एक लाख जपने से सिद्ध होता है।
१- माँ की शहद से और सक्कर से तिल से हवन करने से कोई भी व्यक्ति वश में हो जाता है।
२-माँ का शहद सक्कर से बने लवण से हवन करने से व्यक्ति आकर्षण बनता है।
३-नीम के पत्तो से बने तेल से हवन करने से व्यक्ति विद्वान बनता है ।
४- नमक हल्दी हरिताल से हवन करने से शत्रु का नाश होता है ।
माँ की आराधना करने से शत्रु का नाश होता है और हर कार्यो में विजय प्राप्ति होती ,शक्ति का संचार होता है आप शक्ति मान बन सकते है आप के अंदर वो तेज आ जायेगा की कोई भी व्यक्ति आप से आँख तक नहीं मिला पायेगा ,आपके विरोधी स्वम् नष्ट हो जाएंगे आप किसी को भी अपने ढंग से इस्तेमाल कर सकते है यह् विद्या प्राप्त करने वाला व्यक्ति अजय हो जाता है उसकी सभी समस्याओं का समन हो जाता है इस विद्या का उपयोग समाज हित में ही करना चाहिये।
यह साधना अपने गुरु की राय यह उपस्थिति में ही करे, इस साधना को विशेष सावधानियों से करना चाहिए तन मन को शुद्ध कर रात्रि में पीले वस्त्र पहनकर पिला आसान बिछाकर पिली हल्दी और पीले पुष्प लेकर माला का जब करे और यह जप आपको ग्यारह माला इक्कीस दिन करना है यह रोज नियम से करना चाहिये रोज एक सौ आठ बार करना चाहिये मंत्र सिद्ध हो जायेगा , आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये इस समय , और आप के शत्रु नाश हो जाएंगे।
ॐ ब्रह्मास्त्रहः विद्या बगलामुख्यः नारदः ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसहः नमोहः मुखेह । श्री बगलामुखी दैवतायै नमोहः ह्रदयेहः
ह्रीं बीजायः नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तयः नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगः श्री बगलामुखी देवतः प्रसादः सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:
माँ बगलामुखी के कवच का प्रति दिन जप करना चाहिये यह साधना करने से माता प्रशन्न होती इस मंत्र का सुबह शाम रात्रि में जप करना चाहिये माँ का कवच किसी व्यक्ति के शत्रुओं का नाश उस तरह करता है जिस तरह आग पल भर में जंगल को नष्ट कर देती है ।निर्धन को धन , जिसको पुत्र न हो उसको पुत्र सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है यह कवच जपने से सभी रोग दोष नष्ट हो जाते है ।
श्रुत्वः च् बगलः पूजैस्तोत्रं चापि महेश्वरः
इदानी श्रोतुमिच्छामिह् कवच् वदः मे प्रभोह् ॥ १ ॥
वैरिनाशकरः दिव्यः सर्वा शुभविनाशनम् ।
शुभदः स्मरणात्पुणयः त्राहि मां दु:खनाशनम् ॥२॥
कवच् शृणु वक्ष्यामिहः भैरवीप्राणवल्लभम् ।
पठित्वः धारयित्वः तु त्रैलोक्ये विजयी भवेत् ॥३॥
ॐ असयःश्री बगलामुखीकवचस्यःनारदः ऋषि: ।
अनुष्टप्छन्द: । बगलामुखी देवताः। लं बीजम् ।
ऐं कीलकम् पुरुषार्थचष्टयसिद्धये जपे विनियोग: ।
ॐ शिरो मे बगलः पातु हृदयैकाक्षरी परः ।
ॐ ह्ली ॐ मे ललाटेह च् बगलः वैरिनाशिनी ॥
माँ बगलामुखी का पूर्ण कवच का ही जप करना चाहिए शुद्ध मन से जो भी माँ से मांगा जाता है माँ पूर्ण करती है यह् बहूत शक्तिशाली होती है अतः इनकी पूजा करते समय कोई विघ्न न करे , और कोई भी सिद्ध अपने स्वार्थ के लिए न करे ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या