चीटी या कौए को भोजन देने से मिलेंगा ये लाभ :
चीटी या कौए को भोजन देने से मिलेंगा ये लाभ :
December 17, 2021
जानिये दिन ढलने के बाद झाडू नहीं लगाना चाहिए :   आपने कई बार बड़े बुजुर्गों के मुंह से सुना होना, रात को झाड़ू मत लगाओ, तुलसी को मत छूओ और भी कई बातें. पर क्या आपको यह मालूम है कि ऐसा आखिर क्यों कहा जाता है. आज हम उसी रहस्य से पर्दा उठाने वाले हैं. आइये जानते हैं…     शाम को नहीं छूते तुलसी : शाम के वक्त लोग तुलसी के सामने दीप जलाते हैं, उसकी अर्चना करते हैं, पर उसे छूते नहीं हैं और न ही उसे जल चढ़ाते हैं. शाम को तुलसी के सामने दीप जलाने से लक्ष्मी जी की कृपा होती है. लेकिन अगर आप शाम को तुलसी को छूते हैं या उन्हें जल देते हैं तो इससे वो नाराज होती हैं. इस तरह लक्ष्मी जी रुष्ट हो जाती हैं. वो अपनी कृपा नहीं करतीं. दरअसल, ऐसी मान्यता है कि शाम के समय तुलसी जी आराम करती हैं और छूने से वो जग जाती हैं. नींद में खलल पड़ने की वजह से वो भक्त को अपने आर्शिवाद से महरूम कर देती हैं. वैज्ञानिक भी मानते हैं कि रात के समय पौधों को पानी नहीं देना चाहिए. पौधों के भी सोने और जागने का वक्त होता है. ऐसे में यदि आप उन्हें रात में पानी देंगे तो उनकी सेहत खराब हो सकती है और वो मुर्झा सकते हैं.     शाम को झाड़ू भूल कर भी नहीं : सूरज डूबने के बाद घर में झाडू नहीं लगाना चाहिए. दरअसल, ऐसी मान्यता है कि शाम के वक्त झाड़ू लगाने से लक्ष्मी जी घर के बाहर चली जाती हैं. एक वजह यह भी है कि पुराने जमाने में बिजली नहीं होती थी. सूरज डूबते ही लालटेन या दीये की रोशनी में लोग काम करते थे. ऐसे में अंधेरे में झाडू लगाते हुए कई बार जरूरी चीजें भी बाहर कूड़े में चली जाती थीं. इसलिए भी इसे नियम के तौर पर माना जाने लगा कि अंधेरा होते ही या दिन ढलने के बाद झाडू नहीं लगाना चाहिए.     गुरुवार को क्यों नहीं करते शेविंग : वीरवार को आमतौर पर लोग बाल और दाढ़ी नहीं बनवाते. गुरुवार को ये गलती लोग भूल कर भी नहीं करते. दरअसल, गुरुवार को बृहस्पति यानी कि देवताओं के गुरु का दिन माना जाता है. ये धारणा है कि बृहस्पति भाग्य के कारक होते हैं. ऐसे में यह मान्यता है कि गुरुवार को जो लोग बाल कटाते हैं और शेविंग करते हैं, उनका भाग्य खराब हो जाता है.     सूरज ढलने के बाद नहीं किये जाते ये : इसके पीछे की एक वजह यह है कि पहले बिजली नहीं रहा करती थी और अंधेरे में नाखून काटना जरा जोखिमभरा काम था. इसके अलावा लोगों के पास तब नेलकटर भी नहीं हुआ करते थे, वो चाकू, ब्लेड या कैंची से नाखून काटते थे. दूसरा, इसका धार्मिक पक्ष यह है कि रात में नाखून काटने से लक्ष्मी जी नाराज होती हैं. उन्हें रात में नाखून काटना बिल्कुल पसंद नहीं है. ऐसे व्यक्ति पर लक्ष्मी अपनी कृपा नहीं दिखाती और उसे धन की हानि भी होती है.     विभिन्न समस्या से सम्बंधित जानकारी के लिए संपर्क करें : Call/ Whatsapp  : 9438741641  कामाख्या तंत्र ज्योतिष से जुड़े हर ताज़ा अपडेट पाने के लिए फ़ेसबुक पेज को लाइक करें: https://www.facebook.com/tantrajyotis/ जय माँ कामाख्या
जानिये दिन ढलने के बाद झाडू नहीं लगाना चाहिए :
December 17, 2021
छिपकली गिरने से जुड़ी मान्यताएं :
छिपकली गिरने से जुड़ी मान्यताएं :
 
क्या आप पर कभी छिपकली गिरी है। शायद कभी न कभी तो ऐसा हुआ ही होगा। लेकिन क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया कि छिपकली आपके किस अंग पर गिरी थी। अगर हां, तो यह लेख जरूर पढ़ें। इसमें कोई शक नहीं कि तमाम लोग इसे अंधविश्वास कहते हैं, लेकिन ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं जो यह मानते हैं कि शरीर पर छिपकली गिरने से कुछ न कुछ जरूर होता है।
हम आपको वही बातें यहां बताने जा रहे हैं, जो लोग मानते हैं। हम आपसे यह भी नहीं कह रहे हैं कि आप भी मानें, लेकिन हां अगर आप इसे अंधविश्वास कहते हैं, तो यह भी जान लीजिये कि इसे इतना महत्व क्यों दिया जाता है।
ज्योतिष कहते हैं कि पुरुषों के बायें अंगों एवं स्त्रियों के दाहिने अंगों पर छिपकली गिरना अशुभ होता है। तथा पुरुष के दाहिने अंगों पर एवं स्त्री के बायें अंगों पर गिरना शुभ माना जाता है। ऐसी अवस्था में उस स्थान को पानी से धो लेना चाहिये अगर हो सके तो स्नान कर लें, क्योंकि छिपकली की त्वचा से निकलने वाला पसीना जहर के समान होता है।
माथे पर- छिपकली अगर माथे पर गिरती है तो संपत्ति मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
बालों पर- यदि छिपकली आपके बालों पर गिरती है, इसका मतलब मृत्यु सामने खड़ी है।
दाहिने कान पर- दाहिने कान पर छिपकली का गिरना यानी आभूषण की प्राप्ति होगी।
बायां कान- बायें कान पर छिपकली का गिरना यानी आयु वृद्धि।
नाक- नाक पर छिपकली गिरना यानी जल्द ही भाग्योदय होगा।
मुख- मुख पर छिपकली गिरना यानी मधुर भोजन की प्राप्ति होगी।
बायां गाल- बायें गाल पर छिपकली गिरना यानी पुराने मित्र से मुलाकात होगी।
दाहिना गाल- दाहिने गाल पर छिपकली गिरना यानी आपकी उम्र बढ़ेगी।
गर्दन- गर्दन पर छिपकली गिरने का मतलब यश की प्राप्ति होगी।
दाढ़ी- दाढ़ी पर छिपकली गिरने का मतलब आपके सामने जल्द ही कोई भयावह घटना हो सकती है।
मूंछ- मूंछ पर छिपकली गिरना यानी सम्मान की प्राप्ति।
भौंह- भौंह पर छिपकली गिरना यानी धन हानि।
दाहिनी आंख- दाहिनी आंख पर छिपकली गिरने का मतलब किसी दोस्त से मुलाकात होगी।
बायीं आंख- बायीं आंख पर छिपकली गिरने का मतलब जल्द ही कोई बड़ी हानि होगी।
कंठ- कंठ पर छिपकली गिरने का मतलब शत्रुओं का नाश होगा।
पीठ के मध्य- पीठ पर बीच में अगर छिपकली गिरती है तो घर में कलह होती है।
पीठ पर दाहिनी ओर- पीठ पर दाहिनी ओर छिपकली गिरना यानी सुख की प्राप्ति होगी।
पीठ पर बायीं ओर- पीठ पर बायीं तरफ छिपकली गिरने का मतलब रोग दस्तक दे सकता है।
दाहिने कंधे- दाहिने कंधे पर छिपकली गिरने पर विजय की प्राप्ति होती है।
बायें कंधे पर- बायें कंधे पर अगर छिपकली गिरे तो नये शत्रु बनते हैं।
दाहिनी भुजा- दाहिनी भुजा पर छिपकली गिरे तो धन लाभ मिलता है।
बायीं भुजा- बायीं भुजा पर छिपकली गिरने से संपत्ति छिनने की आशंका बढ़ती है।
दाहिनी हथेली- दाहिनी हथेली पर छिपकली गिरने से कपड़े मिलते हैं।
बायीं हथेली पर- बायीं हथेली पर छिपकली गिरने पर धन की हानि होती है।
दाहिना स्तन- दाहिने स्तन पर छिपकली गिरना यानी जल्द ही ढेर सारी खुशियां आयेंगी।
बायें स्तन- बायें स्तन पर छिपकली गिरने का मतलब घर में अत्याधिक क्लेश होगा।
पेट- पेट पर छिपकली गिरने का मतलब अभूषण मिलेंगे।
कमर के बीच में- कमर के बीच में अगर छिपकली गिरे तो आर्थिक लाभ मिलते हैं।
नाभि- नाभि पर छिपकली गिरे यानी आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
दाहिनी जांघ- दाहिनी जांघ पर छिपकली गिरना यानी सुख की प्राप्ति।
बायीं जांघ- बायीं जांघ पर छिपकली गिरना यानी दु:ख ही दु:ख एवं शारीरिक पीड़ा।
दाहिना घुटना- दाहिने घुटने पर छिपकली गिरना यानी यात्रा का संयोग बनेगा।
बायें घुटने पर- बायें घुटने पर छिपकली गिरने का मतलब बुद्धि हानि।
दाहिने पैर/दाहिनी एड़ी – दाहिने पैर पर छिपकली गिरना यानी यात्रा से लाभ मिलेगा।
बायें पैर/बायीं एड़ी – बायें पैर पर छिपकली गिरना यानी बीमारी लगेगी या घर में कलह होगी। दु:ख मिलेगा।
दाहिना तलवा -दायें पैर के तलवे पर छिपकली गिरने का मतलब ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।
बायां तलवा -बायें पैर के तलवे पर छिपकली गिरने का मतलब व्यापार में हानि होगी।
 

ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार

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जय माँ कामाख्या

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