अघोर भूत-प्रेत साधना सिद्धि मंत्र :
मंत्र : “ओम नमो भूतेश्बर भैरब नाथ मंत्र शम्शाण भूत-प्रेतादि साध्य साध्य सर्बप्रेतात्मा बशयं कुरु कुरु हूँ हूँ फट् स्वाहा ।”
सुंशांण मशाण समान, जगे भूत नाचे शोतान हमारो
बुलाया ना आबे तो शंकर महादेब की आण फिरें ।
दादा गुरो मछन्दर नाथ की आणे फिरे । माई काली
मसाण बाली की आंगना फिरे । चलो मंत्र हुं फट्।।
उपरोक्त दोनो मंत्र बिधि शैब तंत्र से सम्बन्धित है जो शमशान सिद्धि के लिये प्रयोग किया जाता है। किसी नदी किनारे स्तिथ मसाण की भुमि पर बैठ पर साधना की जाती है। साधना सात रबिबार तक की जाती है । प्रथम दिन अमाबस्या और रबिबार के योग में होना चाहिये उसे रात्रि 12 बजे उपरान्त प्रयोग आरम्भ किया जाता है। यह साधना ओघड साधक निर्बस्त्र होकर श्मशान की भस्म अपने तन पर लगाकर करते है तथा मंद मांस का प्रयोग किया जाता है। बाकी बिधि गुप्त है, गुरु मुख से प्राप्त करे ।
नोट : साधक दुसरे मंत्र को नरक चौदश (काली) की आधी रात को शमशान भुमि पर आसन लगा कर बैठ जाये ।फिर उक्त मंत्र का जप करें। 40 दिन करने से मंत्र सिद्ध होता है और भूत-प्रेत प्रत्यख्य हाजिर होते है। तब बो साधक से भोजन ब बलि आदि की मांग करेंगे तब मांस- मदिरा अर्पण करें। लेकिन बलि अर्पण करने से पहले बचन मांग कर साधक अपने बचनो में बांध ले। तभी भोजन अर्पण करें इससे पहले न देबे। बचन देने के बाद साधक जब भी 51 बार मंत्र का जाप करके बुलायेगा तब प्रेत हाजिर हो जाता है और साधक का इछित कार्य पूर्ण करता है । लेकिन साधक लालच में न पडे अपने गुरु आज्ञा से साधना ब प्रयोग करे, बिना गुरु के न करें। ये केबल जानकारी हेतु बता रहा हुं किसी योग्य ब्यक्ति से जानकारी लें।
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जय माँ कामाख्या