अघोर शमशान यखिणी सिद्धि साधना :
मंत्र : ओम हं हों कुं: शमशाणे बासिनी शमशाने स्वाहा।
इस श्मशान यखिणी की साधना में स्थित किसी श्मशान में बैठ कर करें। स्मय 11 बजे उपरान्त साधक अपना मुख पूर्ब या दखिण की और रखें। साधक नग्न (निर्बस्त्र) होकर साधना करें। इस साधना मे हड्डियों की माला ली जाती है। उपरोक्त मंत्र को 1 लाख 11 ह्जार की संख्या में जपते रहने से मंत्र जप पुर्ण होने से पहले ही देबी साधक को संकेत देती है और जप पुर्ण होने पर प्रसन्न होकर दर्शन देती है। उस समय उसके लिए प्रिय भोजन (नैबेद्य) आदि का प्रबन्ध करके रखें तथा जब देबी दर्शन देबे तब उसे भक्ति पूर्बक प्रणाम करके प्रार्थना करें और ख्यमा मांगे।
फिर उसे , उसकी पूजा भेट चडाबें। इससे बह साधक पर मेहरबान होकर दिव्य बस्त्र प्रदान करेगी जो दिब्य शक्तियों से सम्पन्न होगा। उस बस्त्र की बिधि ब बिधान आदि स्वयं देबी बतायेगी। उसके बताये गये प्रयोग अनुसार पुन: उसी रात्रि से दुबारा मंत्र का जाप आरम्भ करें। उक्त मंत्र का 10 हजार जप करने से देबी पुन: आगमन करेंगी । लेकिन इस दश हजार जप करते समय अपने सामने तीन बर्तन में मदिरा (देशी शराब) और मास, भोजन रखकर जप करते हुये उस मदिरा को पिते जाये साथ ही उस भोजन को ग्रहण करते रहें। इसी भांति जप पुर्ण करें। जब मंत्र पूर्ण हो जाने पर श्मशान की यखिणी प्रसन्न होकर साधक की इछा अनुसार बरदान देती है।
लेकिन यह साधना बिना गुरु के नहीं करें। प्राण जा सकते है या किसी भारी संकट का सामना करना पडेगा। जिससे साधक पागल-बाबला हो सकता है। यह बाम मार्ग की अघोर बिधि से किया जाता है। बिना दीख्या और गुरु के सानिध्य के बिना करना खतरे से खाली नहीं है।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
हर समस्या का स्थायी और 100% समाधान के लिए संपर्क करे :मो. 9438741641 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या