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बीर बिरहना की सिद्धि :
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भूतप्रेत अघोर सिद्धि मंत्र साधना :
भूतप्रेत अघोर सिद्धि मंत्र साधना :
 
।। सिद्धि मंत्र ।।
ओम श्री बं बं भू भूतेश्वरी मम बश्य कुरु कुरु स्वाहा।
 
।। साधना बिधि ।।
साधक इस साधना को गुरु निर्देशन में ही करे। यह प्रेतात्मा की सिद्धि है, खतरा होता है। इस साधना सें पहले किसी मजबूत इष्ट की सिद्धि करनी अनिबार्य है। जैसे काली, भैरब ब हनुमान आदि में से इस साधना के पहले अपनी सुरख्या का प्रबन्ध कर लें या गुरुजी से सलाह लेबें।
 
इसके उपरान्त साधक इस साधना को मूल नखत्र में रात्रि के समय आरम्भ करें अर्थात् इस मंत्र का प्रयोग मूल नख्यत्र बाले दिन रात्रि के बारह बजे साधक किसी एकान्त में शौचादिक के लिये जाये और किसी बबूल के बृख्य के निचे। उसकी जड के पास बैठ जाये तथा शौच क्रिया करके आधा पानी काम में ले तथा आधा बचाकर रखें। जो पानी बचाकर रखा है उसे उस बबूल के बृख्य की जड (मूल) में चडाबें (अर्पण कर दे)। फिर साधक उक्त मंत्र का जप शुरु करें। इस मंत्र को प्रतिरात 11 माला जपे। इस भांति 11 दिन यह साधना करें, लेकिन 11 बें दिन केबल मंत्र जपें लेकिन पानी नहीं देबें (पानी बृख्य पर न डाले) इससे प्रेत (भूत) स्वयं प्रत्ख्य हो कर जल (पानी) मांगेंगे तब साधक डरे नहीं और अपने गुरुजी के बताये गये नियमों का पालन करके, गुरु के बताये गये बिधिबिधान के अनुसार उसे मंत्रो से बश में करें और उसे बचनों में बांधें। भूत जब पानी की लालसा में बचन देने के लिये तैयार हो जाये तब साधक अपनी इछा के अनुसार बचनों में बांध लें। इसके बाद ही उसे जल अर्पण करें।
 
इस क्रिया के उपरान्त भूत सिद्धि हो जाती है , फिर साधक की आज्ञा का पालन करता है प्रेत, परंन्तु यह अघोर तंत्र की क्रिया है ।सामान्य साधक (ब्यक्ति) के लिये उपयोगी नहीं है तथा घर-परिबार एबं संसारिक जीबन में रहने बाले मनुष्यों के लिये हानिकारक है। ये बाममार्गी ब अघोर तंत्र की साधना न करें, हानि होगी। आपकी गलती पुरे परिबार को संकट में डाल देगी।
 
 
नोट : इस साधना को न करें, केबल जानकारी हेतु दिया गया है। अन्यथा प्राण संकट में पढ जायेंगे। उसके लिये स्वयं साधक जिम्मेदार होगा।
 
 
 

ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार

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जय माँ कामाख्या

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