श्री भैरबी मंत्र प्रयोग :
ओम नमो भैरबी तेरे आज्ञा काले कमलमुखे राज मोहने प्रजा बशीकरणे
स्त्री पुरुषा रज्जिनि लोक बश्यं मोहिनि अमुकस्य मोहय गुरु प्रसादेन।।
साधक इस मंत्र को किसी भी अष्टमी के दिन शुभ मूहुर्त में रात्रि 10 बजे के उपरान्त पबित्र होकर अपने पूजा कख्य में ऊनी कम्बल का आसन लगाकर उस पर लाल बस्त बिछाले। फिर स्वयं भी लाल रंग के बस्त धारण कर लें और पूर्ब की और मुख करके बैठ जाये तथा अपने सामने लकडि कि चौकी पर लाल बस्त्र बिछा कर देबी भैरबी का चित्र स्थापित करें। फिर घी का या तिली के तेल का दीपक जलाबें और धूप, अगरबती, कुम्कुम, सिन्दुर, पुष्प, अख्यत, मिठाई, फल आदि चढा कर माता का पूजन करें।
एक पानी का कलश रखें। फिर रक्त चन्दन की माला से उपरोक्त मंत्र का जप करें। नित्य 11 माला को इसी प्रकार 21 दिन करें तो मंत्र सिद्ध हो जाता है। फिर साधक इस प्रयोग को अपनेसमाज में मान-सम्मान की प्राप्ति हेतु कर सकता है। प्रयोग के समय उपरोक्त मंत्र का जप करते हुये अष्ट गंध को अभिमंत्रित करें और साध्य ब्यक्ति के नाम को ध्यान में रखकर अपने मस्तक पर तिलक करें। फिर उसके सामने जाये तो अबश्य बह ब्यक्ति साधक का आदर-सम्मान करता हैं। अगर रक्त चन्दन को 100 बार अभिमंत्रित करके तिलक किया जाबें तो भी बिशेष प्रकार से लोग प्रभाबित होंगे। अगर कामिया सिन्दुर को शुक्रबार के दिन पडने बाली कृष्ण पख्य की अष्टमी को अभिमंत्रित करके प्रयोग किया जाये तो सभी लोग साधक की बात का सम्मान करते हैं। साधक सिन्दुर को एक हजार की संख्या में मंत्र जप कर सिद्ध कर लें । इसके उपरांत प्रयोग के समय उसका तिलक अपने मस्तक पर करके सभा-समाज आदि के कार्यो में जाये तो लाभ मिलता है।
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जय माँ कामाख्या