तंत्र बाधा निबारक मेलडी मंत्र :
ॐ नमो आदेश गुरु को।ॐ गुरुजी मेलडी नाम जपु।
काटे बन्धन किया करबायी मेली बिद्या का। पर मंत्र तंत्र
की मायाजाल को काट कूट के पानी में बहाई। मेरी रखबाली
करे मेलडी मरघट बाली जो ना करे रख्या तो इस्माईल योगी
की दुहाई। बाल जती हनुमान की आण करे। मेरी भगति
गुरो की शक्ती चलो मंतर गुरूदेब का बाचा शवद सांचा
पिण्ड काचा माई मेलडी का मंतर जुग जुग सांचा।।
यह साधना आशिवन मास की नबरात्रि में प्रथम दिन प्रात:काल से आरम्भ करें। यह मंत्र नौ नबरात्रि के नौ दिन तक प्रतिदिन सुबह दोपहर और रात्रि में जपना पडता है। प्रथम नबरात्रि को प्रात:काल उठकर साधक पबित्र होकर साफ घूले हुये बस्त्र धारण करले और किसी मन्दिर में या किसी एकान्त जंगल बगीचा या श्मशान में आसन लगाकर बैठ जायें। अपने सामने सींग के तेल का दीपक जलाबें। गुगल, बतीसा को घी में मिलाकर गाय के गोबर के उपलों पर धूनी दें। अपने सामने दीपक के पास देबी के नाम की पूजा करें। साधक अपना मुख पूर्ब दिशा की और रखकर बैठे। पूजन में प्रतिदिन फल, फूल, धूप, दीपक, अगरबती तथा नैबेद्य में सुखडी, नारियल, खीर, पुडी में से किसी एक का नैबेद्य के रुप में माई को अर्पण करें। लेकिन चडाया गया प्रसाद एबं नैबेद्य कोई भी न खायें यह ध्यान रखें। इसी प्रकार नौ दिन यह प्रयोग करे और दिन मे तीन बार एक एक माला मंत्र जपे माला सफेद हकीक की लेबें या रक्त चन्दन की। नौ नबरात्रि के अन्तिम दिन माता की पूजा किसी मन्दिर मे जाकर कर लें। यह साधना करने के बाद अपनी या किसी और रख्या हेतु मंत्र का प्रयोग करें। सात बार जाप करके अपने घर में पानी छिडक दे तो आराम होता है या मंत्र जपते हुए चाकु से 21 बार झाडा करें तो भी रोगी ठीक होगा।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या