।। कामरु देश का चमत्कारी तंत्र प्रयोग ।।
सात रबिबार श्मशान भूमि पर रात्रि के समय 11 बजे जाकर पूर्ब दिशा की और या पशिचम की और मुख करके निर्बस्त्र होकर चिता भस्म पर आसन लगा कर बैठ जाये और माई कामाख्या के नाम की पूजा करें। पूजा में एक सरसों तेल का दीपक जलाबें उसको अपने सीधे हाथ की तरफ रखें। एक दीपक तिली के तेल का करें उसे अपनी बाई और सामने रखें। अब सिन्दुर, पान, जासुद के पुष्प कम से कम पांच और अधिक से अधिक 12 रखें, साधक पांच पुष्प रखे या बारह फिर काल भैरब और माता कामाख्या या शिब शक्ति का ध्यान करें। ध्यान के समय पूर्ण एकाग्रता होनी अनिबार्य है। कम से कम 10 मिनट ध्यान में बैठें। फिर अपनी कामना पूर्ति के लिये मन ही मन कामख्या से और भैरब से प्रार्थना करें। इसके बाद तिली के दीपक पर ध्यान केन्द्रित करके कामाख्या मंत्र की पांच माला जपें। हरेक माला पूर्ण होते समय अपने कार्य का चिन्तन करें। फिर पुन: जप आरम्भ करें। इसी भांति पांच माला जप कर लें। इसके बाद साधक भैरब या शिब के मंत्र की सात माला या केबल 108 बार मंत्र जपें। फिर चारों दिशाओं में शिब शक्ति को प्रणाम कर लें और बस्त्र धारण करके घर आ जायें।
शीघ्र ही इछित कामना पूर्ण होगी। लेकिन यह क्रिया गुप्त रूप से की जाती है अर्थात् इसके बारे में किसी अन्य ब्यक्ति को पता नहीं चलना चाहिये अन्यथा कार्य बिफल हो जाता है तथा लाभ नहीं मिलता। अगर साधक बिना कामना के केबल भक्ति एबं इष्ट की प्राप्ति के लिये सात रबिबार करता है। तो उसकी कामना अपने आप ही पूर्ण हो जाती है। लेकिन एक भी रबिबार चूकना नहीं चाहिये तथा प्रयोग के समय किसी को इसकी जानकारी नहीं होनी चाहिये इस प्रयोग को करने के बाद ज्ञान भक्ति, मुक्ति शक्ति की प्राप्ति होती है। साधना के बीच में शिब शक्ति की पूजा अपने घर पर नित्य की जा सकती है तथा उनके मन्दिर जाकर दर्शन करके उनकी परिक्रमा भी की जाती है। इस प्रयोग को करने से पहले किसी शैब मत के साधक से जानकारी लेना अति आबश्यक ही है। कयोंकि इसमें कई रहस्य छिपे हुए हैं। इनकी जानकारी केबल उसी को होगी जिसने यह प्रयोग सिद्ध किया होगा। इसलिये कृपया आप बिना जानकारी के न करे।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या