मैली माता मेलडी साबर मंत्र साधना प्रयोग :
मंत्र : ॐ नमो श्री मसाणी मेलडी माई। मसाण की बासिणी करें। बोकरा
की स्वारी खाये मांस, पीबे मदिरा मदिरा को प्यालो। कालो काल
मेलडी बखाणीये। जोगी जगमा अबधूत। अघोरी पंथ की शक्ति
माई मेलडी की करें भगति। खुले औघट अघोरी के कपट मेली
मेली माता मेलडी कामरु कामाख्या देबी। दोनों पूजीया जो नराह,
भबपार गिया। उगती माई मेलडी की शक्ति भगत की भक्ति से
होबे कल्याण सदा। जेहू नर ताको करें भजन हर दु:ख दरिद्रता
को मसाणी माई। सूर्य भबन की शक्ति, दुष्ट मारे। असुर संहारे।
सन्त महात्मा सुर नर तारे नमो नमो मा आद्याशक्ति। करो कृपा
भक्त्न पे हैं भगबती मातेश्वरी मेलडी माई। मेरी भक्ति गुरू की
आगना। फुरो मंतर मेला मेलडी माता का। बाचा बाचा शंकर
महादेब जी का बाचा चूके तो सत्य धर्म की आण मेरे गुरूजी को
बचन जुग जुग शांचा पिण्ड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरो बाचा।।
इस मंत्र को काली चोदस की रात्रि में नदी किनारे श्मशान घाट पर बैठकर अगमणी दिशा की और मुख करके रात्रि 10 बजे उपरान्त लाल बस्त्र धारण करके 5 माला जाप करें और जप के समय अपने सामने देशी मदिरा और मांस, पांच गुलाब और पांच जासुद के पुष्प रखें। इत्र, लोबान, गुगल, बतीसा, लौंग, कपूर, लापसी, नमकीन, सुखडी एक नारियल पानी बाला आदि से श्मशान मे देबी की पूजा करें। इसके उपरान्त ही मंत्र पाठ करें। प्रतिदिन पांच पांच मला 9 दिन करें। अन्तिम दिन पुन: उक्त सामग्री से पूजा भेट चडाबें तो मंत्र सिद्ध हो जाता फिर सात बार जपने से साधक की रख्या होती है। पांच माला जपने से संकट का निबारण होता है। इस मंत्र से सर्बप्रकार के दु:ख दूर होते हैं। यह प्राचीन गुप्त प्रयोग है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या