मंत्र : ॐ ऐं ह्रीं महाकाल महाबिकराल भैरबाय ज्वालाक्ताय
मम शत्रु दह दह, हन हन, पच पच उन्मूल्य स्वाहा।।
इस साधना को अघोर मार्ग से सिद्ध की जाती है। नरक चौदस या अमाबस्या की रात्रि में आरम्भ करके सात दिन में पूर्ण करनी पडती है। इस साधना में महिष (भैंसे) के चर्म का आसन लगाकर दखिण दिशा की ओर साधक अपना मुख करके बैठ जाये। सरसों के तेल का दीपक जलाबे और सात दिन में 27000 जप करे। इससे मंत्र सिद्ध होता है, अन्तिम दिन मंत्र का होम करें, यह होम गुरु की देख रेख में करे तो सफलता मिलती है अन्यथा हानि हो सकती है। यह उग्र प्रयोग है, इसको न करें। केबल जानकारी हेतु ही लिखा है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या