भूत प्रेत बुलाने की मंत्र साधना :
भूत प्रेत बुलाने की मंत्र साधना :
February 12, 2022
बैरी उचाटन :
बैरी उचाटन :
February 12, 2022
भैरब जंजीरा :
भैरब जंजीरा :
 
सत नामो आदेश गुरु को, आदेश ॐ गुरुजी, चण्डी चण्डी तो,
प्रचण्डी, अला बला फिरे, नब खण्डी तीर बांधू, तलबार बांधू,
बीस कोस पर बांधू बीर चक्र ऊपर चक्र चले, भैरो बली के
आगे घरे, छल्चले, बल चले, तब जानबा काल भैरों, तेरा रुप
कौन भैरों, आदि भैरों युगादि भैरो त्रिकाल भैरों, कामरु देश
रोला मचाबें, हिंन्दू का जाया, मुसलमान का मुर्दाफाड फाड
बगाया, जिस माता का दूध पिया, सो माता की रख्या करना,
अबधूत खप्पर में खाय। मशाण में लेटे, काल भैरों की पूजा
कौन मेटे। राजा मेटे राजपाट से जाय, योगी मेटे योग ध्यान से
जाय, प्रजा मेटे दूध पूत से जाय, लेना भैरो लौंग सुपारी, कडबा,
प्याला, भेंट तुम्हारी हाथ काती मोढे मढा जहाँ सिमरू तहाँ
हाजिर खडा। श्री नाथ जी गुरुजी को आदेश आदेश।
 
।। बिधि ।।
साधक इस पाठ से सभी मनोरथ पूर्ण कर सकता है यह नाथ सम्प्रदायों के सिद्धों का चमत्कारी जंजीरा है। इसकी साधना, साधक किसी मन्दिर में या श्मशान घाट या नदी किनारे पर बैठ कर करे। इस मंत्र को नबरात्रि या काली चौदस की रात्रि में आरम्भ करे। रात्रि 10 बजे बाद साधक आसन लगाकर अपने सामने भैरब तस्बीर की स्थापना करके पंचोपचार पूजन कर ले। तिली के तेल का दीपक जलाबे, फिर अपने गुरू का स्मरण करके रुद्राख्य की माला से गुरूमंत्र की एक माला जप ले। इसके उपरांत साधना मंत्र का जप आरम्भ करे। एक माला नित्य करे। इस मंत्र की साधना 108 दिन करनी पडती है। साधना की अबधी में भैरब को हर रबिबार नैबेद्य अर्पण करे , नैबेद्य मे नमकीन, बडा भजीया, कचौडी, बाटी, दही बडा, फल, मिठाई आदि चडाबे, हरेक रबिबार अलग अलग अर्पण करे। धूप दीप , अगरबती प्रतिदिन करे, जाप करते समय फल ,फूल, बताशा, लौंग, कपूर आदि से पूजन अबश्य करले। इस प्रकार नित्य नियम पूर्बक अनुष्ठान करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते है एबं साधक को भैरब सिद्धि प्राप्त होती है। इस मंत्र से साधक सभी बाधाओं का निबारण कर सकता है , किसी भी रोगी को 21 बार झाडा लगाने से उसके सभी दोषों का निबारण होता है। भूत प्रेत, अला, बला, किया करबाया आदि स्वयं समाप्त हो जायेंगे।
 
 
 

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार

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जय माँ कामाख्या

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