इनके नाम से ही स्पष्ट है यह रत्नमाला अप्सरा साधक को सिद्धि के साथ साथ रत्न, आभूषण और भौतिक सम्पदा भी प्रदान करती है। सिद्ध हो जाने के पश्चात् यह साधक को इछा अनुसार धन द्रब्य उपलब्ध कराती है। यह अत्यन्त सुन्दरी है, जो साधक को आजीबन प्रेम से परिपूर्ण कर देती है।
इस अप्सरा को सिद्ध करने की बिधि अत्यंत सरल है। स्त्री या पुरूष दोनों ही यह साधना कर सकते हैं। यह रत्नमाला अप्सरा धन के साथ ही यौबन ब सौन्दर्य भी प्रदान करती है अत: स्त्रियों के लिये यह बिशेष फलदायी है।
इस एक दिबसीय साधना में यदि रत्नमाला प्रत्यख्य न भी हो तो भी साधना के लाभ का अनुभब साधक को अबश्य होगा। यह साधना सोमबार या शुक्रबार की रात्रि को सम्पन्न की जाती है। रात्रि १० बजे के पशचात् इसे आरम्भ करें।
सामग्री :- रत्नमुक्ता , मणिमाला ब अन्य सामान्य सामग्री।
बिधि : इसमें स्वछ ब शुध आसन पर सुन्दर बस्त्र धारण करके बैठ जायें। साधना स्थल या कख्य को सुन्दरता से सजा दें। इत्र का सभी तरफ छिडकाब करें। पूर्ब दिशा की और मुख करे। गणेश पूजन ब ईष्ट पूजन करें। पात्र में रत्नमुक्ता रखें ब उसका पंचोपचार पूजन करें। संकल्प लें। फिर इस मंत्र का जाप आरम्भ करें –
ॐ श्रीं ह्रीं रत्नमाला ह्रीं श्रीं ॐ।।
इस मंत्र का ५१ माला जप निरन्तर करें। जप पूर्ण होने पर बहीं बिश्राम करें। पूजा सामग्री को नदी में बिसर्जित करें। यदि एक दिबस में अनुभब प्राप्त न हो तो ११ दिबस इसी प्रकार साधना करें, रत्नमाला प्रत्यख्य होकर दर्शन देंगी, तब उनसे बचल ले लें।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या